छठ का महापर्व साल में दो बार मनाया जाता हैं, आइए जानते हैं कि चैती छठ कब हैं और इसका क्या महत्व और लाभ होता हैं।
चैती छठ का पर्व 25 से 28 मार्च के बीच मनाया जाएगा। चैती छठ की शुरुआत 25 मार्च को नहाय-खाय के साथ होगी।
खरना 26 मार्च 2023 को मनाया जाएगा इसका मतलब शुद्धिकरण होता हैं। खरना के दिन औरतें पूरे दिन व्रत रखती हैं और इसी दिन छठी मैय्या का प्रसाद भी तैयार किया जाता हैं।
अस्ताचलगामी में डूबते हुए सूरज को अर्घ्य को अर्घ्य दिया जाता हैं। अस्ताचलगामी 27 मार्च को हैं। वहीं उदीयमान 28 मार्च को हैं, उदीयमान में हम उगते हुए सूरज को अर्घ्य देते हैं।
चैत्र मास की चतुर्थी तिथि से यह पर्व शुरू हो जाता हैं। जिसे हम नहाय खाय के नाम से जानते हैं। व्रत रखने वाली महिलाए इस दिन साफ सूथरा वस्त्र पहनकर पूजा करती हैं और बिना लहसुन प्याज का भोजन बनाती हैं।
जो श्रद्धालु नवरात्रि के दौरान चैती छठ का व्रत रखते हैं उन्हें छठ मैय्या का आशीर्वाद तो मिलता ही हैं साथ ही कात्यायनी देवी, कूष्मांडा और देवी स्कंदमाता का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस व्रत को रखने से बल, और संतान सुख की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक चैती छठ परंपरा की शुरूआत भगवान राम ने शुरू की है।
यह त्योहार आमतौर पर बिहार और बिहार की सीमाओं से सटे क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता हैं। हालंकि पूरे देश में भी छठ के त्योहार मनाया जाता हैं।