हिंदू धर्म में सिंदूर का विशेष महत्व है। सारी सुहागिन महिलाएं अपनी मांग में सिंदूर लगाती है,जिससे उनके सुहागिन होने का पता चलता है। आइए जानते हैं कि सिंदूर दान के समय दुल्हन का चेहरा क्यों ढका जाता है-
हिंदू धर्म में शुभ कामों को परदे के पीछे किया जाता है। विवाह का अंतिम रस्म सिंदूर दान भी परदे के पीछे किया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि सिंदूर को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान दूल्हा-दूल्हन एक दूसरे को देखते हैं और पति-पत्नी के रूप में मानते हैं।
शरीर के सात चक्र होते हैं जिसका नियंत्रण सिर से होता है। सिंदूर भरने से सूर्य मजबूत होता है। जो सिर के पीछे हिस्से में होता है।
जहां सिंदूरदान होता है वह शीर्ष भाग होता है। मंगल का रंग लाल होता है और लाल रंग को हिंदू धर्म में शुभ माना जाता है।
विवाह को इस धर्म में यज्ञ का दर्जा दिया जाता है और इन सब में अंतिम रस्म सिंदूरदान का होता है। इसके बाद वर कन्या नया जीवन आरंभ करते हैं।
सिंदूर दान की रस्म त्रेतायुग से चला आ रहा है। पहली बार भगवान राम ने माता पार्वती की मांग में सिंदूर डाला था।
इन कारणों से सिंदूर दान के समय दुल्हन का चेहरा ढका जाता है। एस्ट्रो से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें NAIDUNIA.COM