नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर। राजस्थान के एक शातिर गिरोह के पांच सदस्य, जो वाट्सएप पर फर्जी डीपी (Display Picture) लगाकर रायपुर और अन्य राज्यों के लोगों से लाखों की ठगी कर रहे थे, अब पुलिस के हत्थे चढ़ गए हैं। आरोपियों के पास से पुलिस ने 20 लाख रुपये और आठ मोबाइल जब्त किए हैं। इस गिरोह के दो सदस्य पहले भी धोखाधड़ी के मामलों में जेल जा चुके हैं।
यह ठगी का मामला 8 नवंबर का है, जब कवितानगर और अवंती विहार के पैनल कारोबारी सन्नी जुमनानी ने सिविल लाइन थाने में शिकायत दर्ज कराई। सन्नी ने बताया कि उनके छोटे भाई बंटी जुमनानी का मित्र पुनीत पारवानी है। आठ नंवबर को भाई के मोबाइल पर 9727630576 नंबर से वाटसएप काल आया। वाटसएप में पुनीत पारवानी का डीपी लगा हुआ था। कॉल करने वाले ने अपने प्रोफाइल पर पुनीत पारवानी की तस्वीर (डीपी) लगाई थी और खुद को पुनीत बताते हुए कहा कि वह दिल्ली में हैं और एक जरूरी काम के लिए पैसे की जरूरत है।
बंटी ने दिल्ली निवासी अपने दोस्त सिकू से संपर्क किया और उसे पुनीत पारवानी समझकर पैसा नगद देने के लिए कहा। सिकू ने कॉल करने वाले के दिए गए नंबर पर बात की और शातिर ठग को दिल्ली के चांदनी चौक में पांच लाख रुपये नगद दे दिए। बाद में बंटी ने जब अपने दोस्त पुनीत पारवानी से संपर्क किया और पैसे वापस मांगे, तो पुनीत ने कहा कि उसने कभी पैसे की मांग नहीं की थी। तब बंटी को समझ में आया कि वह ठगी का शिकार हो चुका है।
इस घटना के बाद सिविल लाइन पुलिस ने शिकायत पर केस दर्ज किया और मामले की जांच शुरू की। पुलिस ने जांच किया, और कॉल करने वाले ठग का लोकेशन राजस्थान में ट्रेस किया। इसके बाद पुलिस ने राजस्थान के जालोर जिले में स्थित ओटवाल रोड, सायला के सुरेश पुरोहित (30) और महावीर जी जैन रेस्टोरेंट, जिला करौली (24) के वैभव जैन को गिरफ्तार किया।
पुलिस ने दोनों से पूछताछ की और ठगी में शामिल अन्य आरोपियों के बारे में जानकारी दी। आरोपियों ने बताया कि बाड़मेर जिले के ग्राम रतौव तहसील बयातु थाना गेडा निवासी खानू खान (24), बाड़मेर जिले के खबडाला तहसील गडरा रोड थाना गिराब निवासी स्वरूप सिंग (35) और जैसलमेर जिले के बनदेवा तहसील पोखरण थाना फलसुंड निवासी हैदर खान (28) इस ठगी में शामिल थे।
आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने इन तीनों को गिरफ्तार कर लिया। जांच में यह भी सामने आया कि स्वरूप सिंग और सुरेश पुरोहित पहले भी धोखाधड़ी के मामलों में दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ चुके थे और जेल जा चुके थे, जिससे इनकी ठगी की तरकीब और भी सफाई से चल रही थी।
यह गिरोह वाट्सएप पर फर्जी डीपी लगाकर लोगों को विश्वास में लेता था और फिर विभिन्न बहानों से पैसे की मांग करता था। इस तरह के शातिर अपराधी अब पुलिस की पकड़ में आ गए हैं, और पुलिस ने उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है।