नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर : पंच पर्व का धनतेरस के बाद दूसरा त्योहार रूप चतुर्दशी होगा। इसमें इस वर्ष अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए चतुर्दशी का दीपदान और रूप सौंदर्य के लिए अभ्यंग स्नान अलग-अलग दिन होगा। ज्योतिर्विदों के अनुसार इस दिन यमराज के साथ भगवान कृष्ण और मां काली का भी पूजन किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध कर 16 हजार गोपियों को उसकी कैद से मुक्त कराया था।
काली मंदिर के पुजारी आचार्य शिव प्रसाद तिवारी बताते हैं कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर को दोपहर 1.15 बजे होगी, जो अगले दिन 31 अक्टूबर को दोपहर 3.52 बजे तक रहेगी। चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। अभ्यंग स्नान के लिए शुभ समय 31 को सुबह 5.20 से 6.32 बजे तक एक घंटा 13 मिनट रहेगा।
चतुर्दशी तिथि प्रदोषकाल में 30 को रहेगी। इसके कारण 30 को सूर्यास्त के बाद यम दीपक जलाया जाएगा। घर के सबसे बड़े सदस्य द्वारा चौमुखी दीपक जलाकर घर में चारों ओर घुमाने का विधान है।
ज्योतिर्विद् कान्हा जोशी ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार इस दिन उबटन के लिए तिल के तेल का उपयोग कर रूप सौंदर्य की कामना से स्नान किया जाता है। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान लक्ष्मी पूजा दिवस से एक दिन पूर्व अथवा उसी दिन हो सकता है।
जिस समय चतुर्दशी तिथि सूर्योदय से पूर्व प्रबल होती है तथा अमावस्या तिथि सूर्यास्त के पश्चात प्रबल होती है तो नरक चतुर्दशी और लक्ष्मी पूजा एक ही दिन मनाते हैं। अभ्यंग स्नान सूर्योदय से पूर्व चतुर्दशी तिथि में किया जाता है। उदया तिथि में चतुर्दर्शी 31 अक्टूबर को होगी। इसके अतिरिक्त चतुर्दशी का दीपदान एक दिन पहले प्रदोषकाल में 30 को किया जा सकता है।