नईदुनिया, जबलपुर (Jabalpur News)। देवउठनी एकादशी मंगलवार, 12 नवंबर के दिन पड़ रही है। ऐसा माना गया है कि इस तिथि पर ही भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार माह के शयन के बाद जागे थे। इसलिए इस तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है।
देवउठनी एकादशी के बाद मुंडन, विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। 17 जुलाई को श्रीहरि विष्णु योग निद्रा में चले गए थे तथा इसी दिन से चातुर्मास शुरू हो गए थे। देवोत्थानी एकादशी के बाद से विवाह व अन्य मंगलकार्यो पर लगा विराम हट जाएगा।
इस वर्ष 12 नवम्बर देवोत्थानी एकादशी से लेकर 15 दिसम्बर तक ही विवाह होंगे। 16 दिसम्बर से खरमास लगने के चलते एक माह तक विवाह नहीं होंगे। इस वर्ष के बाकी दो महीनों में विवाह के 17 मुहूर्त हैं।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 नवंबर को संध्याकाल 06 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी। यह 12 नवंबर को संध्याकाल 04 बजकर 04 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार उदयातिथि के अनुसार 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी है।
इसके अगले दिन तुलसी विवाह है। तुलसी विवाह तिथि से सभी प्रकार के शुभ कार्य किए जाते हैं। 16 दिसंबर से 14 जनवरी तक धनु के सूर्य में होने से खरमास लग जायेगा।
13 नवंबर को विवाह मुहूर्त है। इस दिन तुलसी विवाह भी है।17 व 18 नवंबर को विवाह हेतु उत्तम मुहूर्त हैं। 22, 23, 24,25, 26, 28 व 30 नवम्बर को भी विवाह होंगे। दिसम्बर माह में 2 दिसंबर को पहला शुभ विवाह मुहूर्त हैं।
इसके बाद 3,4, 5, 9, 10, 14 दिसंबर को भी मुहूर्त हैं । वर्ष का अंतिम विवाह मुहूर्त 15 दिसंबर को है। इसके बाद खरमास लग जाएगा।