Pitru Paksha 2023: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। पितृपक्ष शुक्रवार से शुरु हो रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में पितृ लोक से पितृ धरती लोक पर आते हैं, इसलिए पितरों की शांति के लिए श्राद्ध कर्म व तर्पण और पिंडदान किया जाता है। पितृ पक्ष 14 अक्टूबर अमावस्या तक रहेंगें। अमावस्या को पितरों की विदाई की जायेगी।
ज्योतिषाचार्य रवि शर्मा ने बताया कि जिन लोगों को अपने परिजनों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं होती, उनके लिए पितृ पक्ष में कुछ विशेष तिथियां भी शास्त्रों द्वारा निर्धारित की गई हैं, उन तिथियों में सम्बंधित पितरों के निमित्त श्राद्ध किया जाना चाहिये। इन विशेष तिथियों का विवरण इस प्रकार है।
इस तिथि को नाना-नानी के श्राद्ध के लिए सही बताया गया है। इस तिथि को श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। यदि नाना-नानी के परिवार में कोई श्राद्ध करने वाला न हो और उनकी मृत्युतिथि याद न हो, तो आप इस दिन उनका श्राद्ध कर सकते हैं।
जिनकी मृत्यु अविवाहित स्थिति में हुई हो, उनका श्राद्ध इस तिथि को किया जाना चाहिए।
सौभाग्यवती यानि पति के रहते ही जिनकी मृत्यु हो गई हो, उन स्त्रियों का श्राद्धनवमी को किया जाता है। यह तिथि माता के श्राद्ध के लिए भी उत्तम मानी गई है। इसे मातृ नवमी भी कहते हैं। मान्यता है कि इस तिथि पर श्राद्ध कर्म करने से कुल की सभी दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध हो जाता है।
संन्यासी ,यति ब्रह्मचारियों का श्राद्ध नवानी को करते हैं। इस तिथि को उन लोगों का श्राद्ध किए जाने का विधान है, जो संन्यासी, यति, ब्रह्मचारी हो।
इस तिथि में शस्त्र, आत्म-हत्या, विष और दुर्घटना यानि जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो उनका श्राद्ध किया जाता है। जबकि बच्चों का श्राद्ध कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को करने के लिए कहा गया है।
किसी कारण से पितृपक्ष की अन्य तिथियों पर पितरों का श्राद्ध करने से चूक गए हैं या पितरों की तिथि याद नहीं है, तो इस तिथि पर सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है। शास्त्र के अनुसार, इस दिन श्राद्ध करने से कुल के सभी पितरों का श्राद्ध हो जाता है। यही नहीं जिनका मरने पर संस्कार नहीं हुआ हो, उनका भी अमावस्या तिथि को ही श्राद्ध करना चाहिए।