धर्म डेस्क, इंदौर। हिंदू धर्म में पितरों की आत्मिक शांति के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म, पिंडदान व तर्पण का विशेष महत्व है। इसके अलावा पितृपक्ष को कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है और न ही किसी नई वस्तु की खरीदारी भी की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि पितृपक्ष में निषेध कार्य करने से पितर नाराज होते हैं और जातक को इसका परिणाम भुगतना पड़ता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, पितृपक्ष 14 अक्टूबर तक चलेंगे और इस दौरान भूलकर भी इन चीजों की खरीदारी नहीं करना चाहिए।
हिंदू धर्म में झाड़ू का संबंध देवी लक्ष्मी से बताया गया है। यदि पितृ पक्ष में आप झाड़ू खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको बता दें कि इस दौरान झाड़ू खरीदना भी शुभ नहीं माना जाता है। पितृपक्ष के दौरान झाड़ू खरीदने से पितृ दोष लगता है और देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती है। परिवार में कंगाली आ सकती है।
धार्मिक मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान सरसों का तेल नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा करने से जातक को पितृ दोष लगता है। 16 दिनों तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष के दौरान कभी भी सरसों का तेल नहीं खरीदना चाहिए। श्राद्ध में भोज देने के लिए यदि आप सरसों का तेल इस्तेमाल करना चाहते हैं तो श्राद्ध पक्ष के पहले ही सरसों का तेल खरीद लेना चाहिए। श्राद्ध पक्ष में सरसों का तेल खरीदने से जीवन में बुरा समय आ सकता है।
पितृपक्ष के दौरान नमक खरीदना भी शुभ नहीं होता है। इस दौरान नमक खरीदने से पितृदोष लगता है और पितर नाराज हो जाते हैं। पितृपक्ष में नमक खरीदने से घर में नेगेटिविटी आती है और आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ता है।
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