Navaratri Hawan Durga Navami । आज पूरे देश में दुर्गा नवमी पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। 14 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि है और इस दौरान मां दुर्गा की पूजा अर्चना के साथ सुख शांति और समृद्धि के लिए हवन भी किया जाता है। यदि आप भी आज दुर्गाष्टमी पर अपने घर में हवन कर रहे हैं तो हवन के दौरान उपयोग में आने वाली इन सामग्री को लेना बिल्कुल न भूलें।
पूजा के लिए जरूरी चीजें
कूष्माण्ड (पेठा), 15 पान, 15 सुपारी, पंचमेवा, सिन्दूर, उड़द मोटा, शहद 50 ग्राम, ऋतु फल 5, केले, नारियल 1, गोला 2, गूगल 10 ग्राम, लौंग 15 जोड़े, छोटी इलायची 15, कमल गट्ठे 15, जायफल 2, मैनफल 2, पीली सरसों, लाल चंदन, सफेद चंदन, सितावर, कत्था, भोजपत्र, काली मिर्च, मिश्री, अनारदाना लाल कपड़ा, चुन्नी, गिलोय, सराईं 5, आम के पत्ते, सरसों का तेल, कपूर, पंचरंग, केसर। चावल 1.5 किलो, घी एक किलो, जौ 1.5 किलो, तिल 2 किलो। अगर, तगर, नागरमोथा, बालछड़, छाड़ छबीला, कपूर कचरी, भोजपत्र, इन्द जौ, सितावर, सफेद चन्दन बराबर मात्रा में मिलावें।
हवन के लिए सामग्री
पीपल का तना और छाल, बेल, नीम, पलाश, गूलर की छाल, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, ब्राह्मी, मुलैठी की जड़, तिल, चावल, लौंग, गाय का घी, गुग्गल, लोभान, इलायची, शक्कर और जौ। साथ में एक सूखा नारियल, कलावा या लाल रंग का कपड़ा और एक हवन कुंड।
हवन सामग्री न मिले तो इन चीजों से भी कर सकते हैं हवन
वैसे तो कर्मकांड के हिसाब से हवन के लिए कई चीजों की जरूरत होती है, लेकिन विपरीत परिस्थिति में यदि हवन सामग्री उपलब्ध नहीं हो पाती है तो काष्ठ, समिधा और घी से ही काम चला सकते हैं। आम या ढाक की सूखी लकड़ी या नवग्रह की नौ समिधा (आक, ढाक, कत्था, चिरचिटा, पीपल, गूलर, जांड, दूब, कुशा) से भी हवन किया जा सकता है। हवन के लिए देसी गाय के शुद्ध घी का उपयोग करना चाहिए।
पांच तरह से होते हैं यज्ञ
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यज्ञ 5 प्रकार के होते हैं-
- ब्रह्म यज्ञ
- देव यज्ञ
- पितृयज्ञ
- वैश्वदेव यज्ञ
- अतिथि यज्ञ।
इस सभी यज्ञों में देवयज्ञ ही अग्निहोत्र कर्म है। इसे ही हवन की संज्ञा दी गई है। यह अग्निहोत्र कर्म कई प्रकार संपन्न किया जा सकता है। नवरात्रि में देवी के निमित्त अग्निहोत्र यज्ञ ही किया जाता है।