नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर(Karwa Chauth Moon Time)। सुहागिनों ने अखंड सौभाग्य के लिए आज करवा चौथ का निर्जला रखा है। व्रत पर उच्च का चंद्रमा और रोहिणी नक्षत्र का मंगलकारी संयोग बन रहा है। ज्योतिर्विद् कान्हा जोशी के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर को सुबह 6:46 बजे से 21 अक्टूबर को सुबह 4:16 बजे तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र सुबह 8:31 बजे से लग गया है।
चौथ पूजन का मुहूर्त शाम 5:46 से 7:02 बजे तक रहेगा। ज्योतिर्विद् श्रीकांत पोपळेकर के अनुसार इस दिन विवाहित महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान गणेश की पूजा करती हैं और अपने व्रत को चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य अर्पण करने के बाद पूर्ण करती हैं। इस व्रत में अन्न-जल ग्रहण बिना सूर्योदय से रात में चंद्र दर्शन तक किया जाता है।
सुबह 6:25 से रात 7:54 बजे तक 13 घंटे 29 मिनट व्रत का समय रहेगा। इंदौर में चंद्रोदय रात 7:54 बजे होगा। मध्य प्रदेश के शहरों में इस अवसर पर सामूहिक करवा पूजन के आयोजन भी होंगे। श्री वैष्णोधाम में महोत्सव बिचौली मर्दाना मुख्य मार्ग इंदौर स्थित श्री वैष्णोधाम में सामूहिक करवा चौथ महोत्सव आयोजित किया जाएगा। शाम सात बजे तक सांस्कृतिक गतिविधियां होंगी। इसके बाद 1001 महिलाएं सामूहिक करवा पूजन करेंगी।
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की करवा चौथ रविवार को गजकेसरी योग में आ रही है। खास बात यह भी है कि इस दिन ग्रह गोचर में कई प्रमुख ग्रह अपनी श्रेष्ठ स्थिति में रहेंगे। इस प्रकार के योग, नक्षत्र में अखंड सौभाग्य की कामना से चंद्र दर्शन व चौथ माता का पूजन शुभ फल प्रदान करने वाला माना गया है।
ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया वर्षभर की बाहर संकष्टी चतुर्दशी में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की करवा चतुर्थी को सबसे बड़ी चतुर्थी माना गया है। यह चतुर्थी अखंड सौभाग्य व सुख-समृद्धि प्रदान करने वाली मनी गई है। इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए यथा श्रद्धा व्रत रखती हैं।
हालांकि शास्त्रीय महत्व निर्जल, निराहार व्रत रखने का है। इस बार करवाचौथ पर गजकेसरी योग रहेगा। चंद्रोदय के समय चंद्र गुरु की युति रहेगी। वृषभ राशि में चंद्रमा उच्च का रहेगा यह संपूर्ण स्थितियां इस दिन को विशेष शुभ बना रही हैं। इसमें व्रत रखकर पूजा अर्चना करने से सुख व सौभाग्य में वृद्धि होगी।
सामान्यतः लोग करवा चौथ पर चंद्रमा का पूजन कर लेते हैं। किंतु बहुत से लोग यह नहीं जानते की इस दिन चौथ माता का भी पूजन होता है। चौथ माता का पूजन गणपति की पूजन के साथ में किया जाता है। यह चतुर्थी तिथि की अधिष्ठात्री माता देवी है इनकी पूजन करने से संकट निवृत्ति होते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि संकष्टी चौथ पर या संकष्टी चतुर्थी पर ही हम करें।
यदि परिवार में अस्थिरता है या संतुलन प्रभावित है तो ऐसी स्थिति में चौथ माता का पूजन करने से भी पति-पत्नी के मध्य जो वैमनस्य की स्थिति रहती है उस का निराकरण होता है। परिवार में सुख समृद्धि तथा परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों में मधुरता के लिए चौथ माता का पूजन अवश्य करना चाहिए।