नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। Karwa Chauth 2024 Vrat Date: अखंड सौभाग्य की कामना के साथ महिलाएं कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत करती हैं। पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर रविवार को किया जाएगा।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि इस साल करवा चौथ पर पूजा के लिए केवल एक घंटा 16 मिनट का ही शुभ मुहूर्त है। इस बार यह व्रत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि पांच शुभ योग बन रहे हैं, जिसका लाभ वृषभ, कन्या और तुला राशियों को विशेष रूप से होने वाला है।
करवा चौथ पर बन रहे शुभ योग ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अब की बार सूर्य और बुध दोनों ही ग्रह शुक्र की राशि तुला में हैं। ऐसे में बुधादित्य योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही शुक्र के वृश्चिक राशि में आने वह गुरु के साथ मिलकर समसप्तक योग का निर्माण कर रहे हैं।
इसके अलावा शनि अपनी राशि कुंभ में रहकर शश राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। इसके अलावा चंद्रमा वृषभ राशि में गुरु के साथ युति करके गजकेसरी राजयोग का निर्माण कर रहे हैं।
कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्तूबर को सुबह छह बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी, तिथि का समापन 21 अक्तूबर को सुबह चार बजकर 17 मिनट पर होगा। चंद्रोदय का समय 20 अक्टूबर को शाम आठ बजकर 18 मिनट पर है।
परंपरा के अनुसार, सूर्योदय से करीब दो घंटे पहले तक सरगी खा सकते हैं। ऐसे में तीन बजकर 12 मिनट से लेकर सुबह चार बजकर 37 मिनट तक का समय सरगी खाने के लिए सर्वोत्तम रहेगा। करवा चौथ पूजा समय शाम पांच बजकर 46 मिनिट से रात सात बजकर नौ मिनिट तक (अवधि एक घंटा 16 मिनट) रहेगा।
करवा चौथ व्रत समय सुबह छह बजकर 25 मिनिट से रात्रि सात बजकर 54 मिनट (अवधि 13 घंटे 29 मिनट) तक रहेगा।
करवा चौथ व्रत की शुरुआत हमेशा सरगी खाने से की जाती है, जो सूर्योदय से लगभग दो घंटे पहले तक खाई जाती है। व्रत शुरू होने से पहले सास अपनी बहू को उपहार देती है।
यदि सास न हो तो घर की बड़ी महिला या ननद भी सरगी दे सकती है। सरगी की थाल में कुमकुम, बिंदी, मेहंदी, साड़ी, सिंदूर, बिछिया, सूखे मेवे, मिठाई, ताजे फल, शगुन मनी आदि शामिल होते हैं।
आज यानी 16 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है। इस तिथि का चंद्रमा अन्य दिनों के मुकाबले आकार में बड़ा और औषधीय गुण प्रदान करने वाला माना जाता है। इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। यही वजह है कि इस दिन पारंपरिक रूप से गाय के दूध और चावल की खीर बनाकर उसे संपूर्ण रात्रि के लिए चांदनी में रखा जाता है।
इससे उस खीर में चंद्रमा के औषधीय और दैवीय गुण समाहित हो जाते हैं। सफेद चीजों का संबंध चंद्रमा और शुक्र ग्रह से होता है। इसलिए इस दिन चावल-दूध की खीर चांदी के बर्तन में खाने से कुंडली में चंद्रमा और शुक्र ग्रह भी मजबूत होते हैं।