धर्म डेस्क, नईदुनिया। हिंदू धर्म में सभी त्योहारों की विशेष मान्यता है, ये सभी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाते हैं। लेकिन यदि किसी त्योहार के दिन घर-परिवार में किसी की मृत्यु हो जाती है, उसके बाद से उस परिवार में त्योहार नहीं मनाया जाता। अगर दीवाली के दिन परिवार में किसी की मृत्यु हुई तो त्योहार कैसे मनाएं? आइए जानते हैं इस बारे में क्या कहते हैं ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती।
वैसे तो किसी त्योहार पर अगर किसी की मृत्यु हो जाती है, तब उस त्योहार को उस परिवार लिए खोटा माना जाता है लेकिन मान्यता है कि अगर परिवार में उसी दिन किसी बालक का जन्म हो जाए, या गाय बछड़े को जन्म दे दे तो त्योहार फिर लौट आता है या फिर तीसरी पीढ़ी की बहू उस त्योहार को मनाना शुरू कर सकती है।
दीवाली के दिन लोग अपने घरों को दीयों, रंगोली, और रंगबिरंगी लाइट, आतिशबाज़ी से सजाते हैं। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। दीपावली पर घरों में पूजन के अलावा, उद्योगों और व्यापारी भी अपने प्रतिष्ठानों में पूजन करते हैं, लेकिन जब किसी के परिवार में किसी की मृत्यु हुई रही हो तो भी त्योहार को अलग ढंग से मना सकते हैं।
ज्योतिर्मठ के जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने एक शिष्य को इस प्रश्न पर जवाब देते हुए बताया कि कार्तिक मास के अमावस्या के दिन दीवाली मनाई जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा होती है और दूसरा दीपावली महोत्सव मनाया जाता है। इसमें दो पर्व मिले हुए हैं, एक लक्ष्मीजी की पूजा और दूसरा उत्सव।
जगदगुरू शंकराचार्य ने कहा कि अगर परिवार में किसी मृत्यु हुई रही हो तो हम उत्सव तो नहीं मना सकते क्यों कि इस दिन हमारे अपने हमसे बिछड़ गए होते हैं, लेकिन पूजा कर सकते हैं। दीवाली पर लक्ष्मीजी की पूजा का नियम है। किसी अन्य दिन की बजाय हमे अमावस्या की रात को हमें पूजा करना चाहिए। किसी के चले जाने से उस दिन पूजा बंद करने पर रोक नहीं है।