धर्म डेस्क, इंदौर (Dhanteras Mantra & Aarti)। धनतेरस का पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस बार 29 अक्टूबर, मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज, धन के देवता कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है।
धनतेरस के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शुभ मुहूर्त में पूजा की तैयारी करें। इस दिन कुबेर और धन्वंतरि के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा का भी महत्व है। विधि विधान से पूजा करने के बाद कुछ विशेष मंत्रों का उच्चारण अत्यंत फलदायी है। सभी तरह की सामग्री से पूजन करने के बाद प्रसाद चढ़ाएं और अंत में आरती करें।
ॐ धन्वंतराये नमः
ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:
अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय
त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप
श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥
ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
ॐ नमो भगवते धनवंतराय
अमृताकर्षणाय धन्वन्तराय
वेधासे सुराराधिताय धन्वंतराय
सर्व सिद्धि प्रदेय धन्वंतराय
सर्व रक्षा कारिणेय धन्वंतराय
सर्व रोग निवारिणी धन्वंतराय
सर्व देवानां हिताय धन्वंतराय
सर्व मनुष्यानाम हिताय धन्वन्तराय
सर्व भूतानाम हिताय धन्वन्तराय
सर्व लोकानाम हिताय धन्वन्तराय
सर्व सिद्धि मंत्र स्वरूपिणी
धन्वन्तराय नमः
विनाशनाय त्रिलोक नाथाय श्री महाविष्णुवे नम:||
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।
जय धन्वंतरि देवा, जय जय धन्वंतरि देवा।।
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