Chhath Puja Nahay Khay Muhurat: नहाय खाय-खरना व सूर्य को अर्घ्य देंगे
Chhath Nahay Khay Time 2024: छठ पर्व मुख्य रूप से षष्ठी तिथि को किया जाता है, लेकिन इसका आरंभ नहाय खाय से हो जाता है यानी छठ पर्व शुरुआत में पहले दिन व्रती नदियों में स्नान करके भात, कद्दू की सब्जी और सरसों का साग एक समय खाती हैं।
By Jogendra Sen
Publish Date: Mon, 04 Nov 2024 08:43:21 AM (IST)
Updated Date: Tue, 05 Nov 2024 01:08:23 PM (IST)
छठ पूजा कल से, नहाय खाय-खरना व सूर्य को अर्घ्य देंगे। सांकेतिक चित्र HighLights
- छठ पूजा प्रकृति को समर्पित पर्व है
- यह पर्व चार दिनों तक चलता है
- आरंभ नहाय खाय से हो जाता है
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। छठ पूजा प्रकृति को समर्पित पर्व है जिसमें सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा होती है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि यह पर्व चार दिनों तक चलता है जिसका आरंभ चतुर्थी तिथि से हो जाता है और समापन सप्तमी तिथि पर होता है, चतुर्थी पांच नवंबर को है। छठ पूजा का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।
इस साल षष्ठी तिथि सात नवंबर दिन गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और आठ नवंबर शुक्रवार को रात्रि 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी।
छठ पर्व के चार दिनों का महत्व
- छठ पर्व मुख्य रूप से षष्ठी तिथि को किया जाता है, लेकिन इसका आरंभ नहाय खाय से हो जाता है यानी छठ पर्व शुरुआत में पहले दिन व्रती नदियों में स्नान करके भात, कद्दू की सब्जी और सरसों का साग एक समय खाती हैं।
- दूसरे दिन खरना किया जाता है जिसमें शाम के समय व्रती गुड़ की खीर बनाकर छठ मैया को भोग लगाती हैं और पूरा परिवार इस प्रसाद को खाता है। तीसरे दिन छठ का पर्व मनाया जाता है जिसमें अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। चौथे दिन सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पर्व को समापन किया जाता है।
छठ पूजा की तिथियां - Chhath Puja Tithi
- नहाय खाय (Chhath Nahay Khay) : पांच नवंबर छठ पूजा के पहले दिन, श्रद्धालु नदी या तालाब में स्नान करते हैं और केवल शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। महिलाएं दिन भर व्रत रखती हैं।
- खरना (Chhath Kharna): छह नवंबर को दूसरे दिन, व्रती दिन भर निर्जला उपवास रखते हैं। शाम को पूजा के बाद प्रसाद के रूप में खीर, रोटी और फल खाए जाते हैं।
- संध्या अर्घ्य (Chhath Sandhya Arag): सात नवंबर तीसरे दिन, व्रती सूर्यास्त के समय नदी या तालाब के किनारे जाकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है।
- सुबह का अर्घ्य (Chhath Subah Arag) : आठ नवंबर चौथे दिन, उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसके बाद व्रती अपना व्रत संपन्न करते हैं और प्रसाद वितरण करते हैं। छठ पूजा के दौरान प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, चावल के लड्डू, फलों और नारियल का प्रयोग किया जाता है। ये सभी प्रसाद शुद्ध सामग्री से बनाए जाते हैं और सूर्य देवता को अर्पित किए जाते हैं।