150 साल पहले हुई थी बिजासन माता की स्थापना, 40 वर्षों से जल रही है अखंड ज्योत
मुंबई-आगरा राजमार्ग पर सेंधवा शहर के नजदीक 150 साल पहले बिजासन माता की स्थापना की गई थी।
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Publish Date: Tue, 20 Mar 2018 09:37:47 AM (IST)
Updated Date: Tue, 20 Mar 2018 10:23:23 AM (IST)
सेंधवा(मध्यप्रदेश)। देवी की आराधना के कई आयाम है। कई भक्त सहज-सरल तरीके से उपासना करते हैं, तो कुछ साधना का कठोर रूप अपनाते हैं। आस्था के साथ की गई आराधना से मां भक्तों के मन की मुराद पूरी करती है। देवी देश-दुनिया में कई जगहों पर विराजमान है और अपने भक्तों को दर्शन देकर उनकी मनोकामनाओं को पूरा करती है। मध्य प्रदेश में महाराष्ट्र की सीमा पर सेंधवा के निकट मंदिर में माता अपनी सौम्यता के साथ बिजासन रूप में विराजमान है।
150 साल पहले हुई थी माता की स्थापना-
मुंबई-आगरा राजमार्ग पर सेंधवा शहर के नजदीक 150 साल पहले बिजासन माता की स्थापना की गई थी। तब से लेकर आजतक माता बिजासन के दरबार में भक्तों का हुजूम लगा रहता है। नवरात्र के अवसर पर देवी के दर्शनों के लिए दूर-दराज से भक्तगण मंदिर में आते हैं। चैत्र नवरात्र के अवसर पर मंदिर में महाराष्ट्रीयन भक्तों की तादात ज्यादा होती है। नवरात्र में महाराष्ट्रीयन परिवार मान-मन्नत के लिए मंदिर में आते हैं।
माता पिण्डी स्वरूप में विराजमान है-
मंदिर के गर्भगृह में माता पिण्डी स्वरूप में विराजमान है। मंदिर में पिछले 40 सालों से अखंड ज्योति जल रही है। अब तक तीन बार मंदिर का जीर्णोद्धार हो चुका है। तीसरी बार के जीर्णोद्धार में मंदिर को एक करोड़ रुपए की लागत से भव्य स्वरूप प्रदान किया गया और मंदिर का निर्माण दक्षिण भारतीय शैली में किया गया।
विश्वशांति के लिए होता है यज्ञ का आयोजन-
मंदिर परिसर में नवरात्र के अवसर पर शतचंडी पाठ और यज्ञ का आयोजन किया जाता है, जिसकी पूर्णाहुति नवमी के दिन की जाती है। यज्ञ का उद्देश राष्ट्र व समाज उत्थान के साथ विश्व शांति होता है। मंदिर के नजदीक पहाड़ी पर भगवान श्री पशुपतिनाथ का मंदिर स्थित है। यहां प्राचीन कुंड में वर्षभर पानी बहता रहता है। मंदिर परिसर में संचालित होने वाली धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों का संचालन मां बड़ी बिजासन परमार्थिक एवं धार्मिक ट्रस्ट के द्वारा किया जाता है।