धर्म डेस्क, इंदौर। आरोग्य, ऐश्वर्य, उन्नति व प्रकाश का पांच दिवसीय पर्व दीपावली मंगलवार को धनत्रयोदशी के साथ शुरू होगा। भाई दूज तक चलने वाले उत्सव में पांच दिन पांच अलग-अलग देवताओं का पूजन किया जाएगा।
इस बार तिथि मतांतर के कारण नर्कहरा चतुर्दशी व दीपावली एक ही दिन है। वहीं, गोवर्धन पूजा दीपावली के एक दिन बाद 2 नवंबर को होगी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया पंचांगीय गणना व धर्मशास्त्र की मान्यता के अनुसार इन तारीखों में पांच त्योहार मनाना शुभ फलदायी रहेगा।
दीप पर्व का दूसरा दिन नर्कहरा चतुर्दशी अर्थात रूप चौदस के रूप में जाना जाता है। इस बार तिथि मतांतर के चलते रूप चतुर्दशी 31 अक्टूबर को सुबह मनाई जाएगी। इस दिन सूर्योदय से पहले तिल का उबटन लगाकर स्नान की मान्यता है। इसके बाद घर आंगन, गौशाला तथा मंदिर में दीपक लगाने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
दीपावली के दिन सुख, समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी के पूजन का विधान है। इस बार 31 अक्टूबर को प्रदोष काल व मध्य रात्रि में अमावस्या तिथि होने से यह दिन लक्ष्मी पूजन के लिए विशेष है। शाम को भगवान गणेश, माता लक्ष्मी तथा कुबेर देवता का पूजन होगा।
दीप पर्व का चौथा दिन गोवर्धन पूजा का होता है। दीपावली के अगले दिन पड़वा पर सुबह गोधन व गोवर्धन की पूजा की जाती है। इस बार 31 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी, अगले दिन 1 नवंबर को भी सुबह के समय अमावस्या तिथि होने से 2 नवंबर को गिरिराज गोवर्धन की पूजा होगी। वैष्णव मंदिरों में अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा।
भाई दूज के साथ पांच दिवसीय दीप पर्व का समापन होगा। इस बार 3 नवंबर को भाई दूज मनाई जाएगी। इस दिन भाई बहनों के घर जाकर उनका आतिथ्य स्वीकार करेंगे।
बहनें भाई के दीर्घायु जीवन के लिए उन्हें मंगल तिलक लगाएंगी। इस त्यौहार को मनाने के पीछे यमराज व उनकी बहन यमी की धर्मकथा प्रमुख है। मान्यता है इस दिन भाई व बहनों को यमराज दीर्घायु प्रदान करते हैं।