Shiv Mahapuran: बुरहानपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। रेणुका मंडी परिसर में चल रही अश्वत्थामा शिव महापुराण कथा के चौथे दिन कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि शिव महापुराण कथा समुद्र से भी गहरी है। समुद्र में डूबोगे तो मर जाओगे और शिव महापुराण में डुबोगे तो तर जाओगे। इन दोनों से पार पाना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि जैसे समुद्र के जल में कोई मोती खोजता है तो कोई मछली और कुछ लोग तो सिर्फ जल को पैर मारकर उसकी फोटो खिंचवाकर ही खुश हो जाते हैं। शिव महापुराण कथा भी सबके लिए है। यहां जो मोती यानी शिव खोजने आता है वो भक्ति भाव में डूबकर सबसे पीछे कथा का श्रवण करता है। जो मछली ढूंढने आता है वो कथास्थल की कमियां ढूंढकर जाता है। जो समुद्र के जल को पैर मारने वाले होते हैं उन्हें भी भगवान का आशीर्वाद मिल जाता है। शिव जी विश्वास और भक्ति के भूखे हैं। उन पर से भरोसा छोड़ा तो भोला भी तुमको छोड़ देगा।
कथा के दौरान प्रदीप मिश्रा ने मतांतरण और रामायण विवाद को लेकर भी चुटकी ली। उन्होंने बेटियों से कहा कि महसूस हो तो घर बदल लेना, लेकिन धर्म कभी मत बदलना। उन्होंने कहा कि हमारे घर का बच्चा दीपावली पर सफाई करता है तो सारा कबाड़ बेच देता है लेकिन कभी घर में रखी पुरानी रामायण को बाहर नहीं फेंकता।
दीये की तरह समस्याओं से लड़ें
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि रोग और दुःख संत-महात्माओं को भी आते हैं, किन्तु वे भगवान से नाता और भरोसा नहीं तोड़ते। उन्होंने रामायण के श्रीलंका कांड में रावण द्वारा सीताजी के पास त्रिजटा की तैनाती को लेकर विभीषण द्वारा सुनाई गई शिव भक्ति की कथा को सुनाया। उन्होंने कहा कि जब मिट्टी का दीया रातभर अंधेरे से लड़ सकता है तो भगवान का दिया इंसान जीवन की छोटी-छोटी समस्याओं से क्यों नहीं लड़ सकता। भय में जीने की आदत को छोड़ो। एक लोटा जल चढ़ाओ सब दुःख गल जाएंगे।
उन्होंने कहा कि अपने भक्ति के बल को बढ़ाओ तो भगवान खुद आपको ढूंढेगा। हम अपनी दृढ़ता और विश्वास को नहीं बढ़ा रहे हैं। यही समस्या का सबसे बड़ा कारण है। अश्वत्थामा शिव महापुराण कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जैसे श्री कृष्ण ने अपने बाल सखा सुदामा के सत्कार में कोई कमी नहीं रखी, वैसा राजा ध्रुपद के दरबार में द्रोणाचार्य की मित्रवत सम्मान की अपेक्षा पूरी नहीं हो सकी। लिहाजा अपने बच्चों और परिवार को ऐसे मित्र के पास ले जाने से पूर्व व्यक्ति को सौ बार सोचना चाहिए।