ब्रह्माजी ने बनाया हम सभी को लेकिन यहां जानिए सिर्फ उनको
ब्रह्माजी के दिव्य स्वरूप हम सभी ने देखा है। लेकिन उनके दिव्य स्वरूप और उनके हाथों में मौजूद हर चिन्ह कुछ न कुछ कहता है।
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Publish Date: Sat, 21 Nov 2015 05:07:26 PM (IST)
Updated Date: Mon, 23 Nov 2015 05:00:29 AM (IST)
हिंदू धर्म में त्रिदेव के रूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश पूजे जाते हैं। हिंदू पुराणों के अनुसार क्षीरसागर में शेष शैय्या पर विष्णु जी की नाभि से ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई थी। इस पृथ्वी पर ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर पुष्कर में है।
ब्रह्माजी के पुत्रों में विश्वकर्मा, अधर्म, अलक्ष्मी, आठवसु, चार कुमार, 14 मनु, 11 रुद्र, पुलस्य, पुलह, अत्रि, क्रतु, अरणि, अंगिरा, रुचि, भृगु, दक्ष, कर्दम, पंचशिखा, वोढु, नारद, मरिचि, अपान्तरतमा, वशिष्ट, प्रचेता, हंस, यति इस तरह कुल मिलाकर कुल 59 पुत्र थे।
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वहीं उनके अंगों से भी पुत्रों की उत्पत्ति हुई जिनमें क्रमशः मन से मारिचि। नेत्र से अत्रि। मुख से अंगिरस। कान से पुलस्त्य। नाभि से पुलह। हाथ से कृतु। त्वचा से भृगु। प्राण से वशिष्ठ। अंगुष्ठ से दक्ष। छाया से कंदर्भ। गोद से नारद। इच्छा से सनक, सनन्दन, सनातन और सनतकुमार। शरीर से स्वायंभुव मनु और शतरुपा। ध्यान से चित्रगुप्त। ब्रह्मा जी के 17 पुत्र और एक पुत्री हैं पुत्री का नाम है शतरूपा।
ब्रह्माजी के दिव्य स्वरूप हम सभी ने देखा है। लेकिन उनके दिव्य स्वरूप और उनके हाथों में मौजूद हर चिन्ह कुछ न कुछ कहता है।
- ब्रह्मा जी के 4 मुंह: ब्रह्मा जी के चार सिर है। यह चार वेदों को दर्शाते हैं। ( ब्रह्मा जी का एक सिर भगवान शिव ने त्रिशूल से अलग कर दिया था। जिसकी कहानी सती रहस्य में मिलती है। पहले ब्रह्मा जी के चार सिर थे।)
- ब्रह्मा जी के चार हाथ हैं: बुद्धि, दया, मस्तिष्क और आत्मविश्वास को दर्शाते हैं।
- पहले हाथ में कमल: कमल प्रकृति और जीवन का प्रतीक है।
- दूसरे हाथ में प्रार्थना की माला: यह माला निर्माण और मस्तिष्क को केंद्रित करती है।
- तीसरे हाथ में पुस्तक : बुद्धि और चार वेदों को दर्शाती है यह पुस्तक।
- चौथे हाथ में कमंडल: ब्रह्मा जी के कमंडल में जल है जो निर्माण के जरूरी तत्व की भूमिका की ओर इंगित करता है।
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- ब्रह्मा जी के स्वर्ण(सोने) वस्त्र : सोना जागरुकता और निर्माण का प्रतीक माना जाता है इसलिए ब्रह्मा जी सोने के वस्त्र पहनते हैं।
- कमल पर हैं विराजतें: कमल के फूल पर ब्रह्मा जी ध्यान की अवस्था में रहते हैं। क्योंकि ब्रह्माजी का अनंत दिन वास्तविकता में है।