Food Astrology: पेट भरने और स्वाद के लिए हम बढ़िया पकवान खाते हैं। लेकिन कुछ दिन ऐसा भोजन भी करके देखिए जो आपको अंदर से शुद्ध करके जीवन के बाद मिलने वाले सुख का साधन तैयार करें। वैदिक शास्त्र में बताया गया है कि हमारे आहार का प्रभाव शरीर के साथ आत्मा पर होता है। यदि आपका आहार सात्विक हो और अन्तर्मन को शुद्ध करे तो जीते जी मानसिक शांति मिलती है। निधन के बाद उत्तम लोक में स्थान प्राप्त होता है।
भविष्य पुराण में सुमन्तु मुनि कहते हैं कि आत्मशुद्धि और मुक्ति के लिए इंसान को हिंदू पंचांग के अनुसार पहली तिथि को गाय का दूध पीना चाहिए। द्वितीया तिथि को मीठा भोजन करें। तृतीया तिथि को तिल से बना खाना खाएं।
चौथी तिथि को भी दूध पिएं। पंचमी के दिन केवल फल खाकर रहें। षष्ठी तिथि को शाक खाएं। सातवीं तिथि को बेल और आठवीं तिथि को पिसा हुआ भोजन करें। नवमी तिथि को आग में पकाया हुआ भोजन, दशमी और एकादशी को घी युक्त भोजन करें। द्वादशी के दिन खीर, त्रयोदशी के दिन दूध पीना चाहिए। चौदहवें दिन जौ का सेवन करें। 15वें दिन कुशा से जल पिएं।
यह व्रत 15 दिनों का है। इस व्रत का आरंभ वैशाख तृतीया से आरंभ करना चाहिए। इसके अलावा शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि के दिन से यह व्रत शुरू किया जा सकता है। भविष्य पुराण के अनुसार जो जातक इस प्रकार से 15 दिन का व्रत रखता है। उसे दस अश्वमेघ यज्ञों का फल मिलता है।
ऐसा व्यक्ति एक लाख वर्ष तक स्वर्ग में रहकर उत्तम सुख और भोग प्राप्त करता है। जो साधक तीन से चार बार यह व्रत करता है। उसे कई युगों तक पृथ्वी पर जन्म नहीं लेना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति तो जब पृथ्वी पर आता है। तब यहां भी सुख प्राप्त करता है।
डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'