भोपाल (ब्यूरो)। कपास की खेती करने वाले किसानों को सरकार बीज कंपनियों के चुंगल से मुक्त कराने के लिए नया बीज बनाएगी। बीटी कॉटन की जगह मिलने वाला ये बीज पूरी तरह जैविक होगा। इसके लिए मध्य भारत कंपनी और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के बीच करार हुआ है।
इसके तहत विश्वविद्यालय ऐसा बीज तैयार करेगा, जो न सिर्फ आसानी से किसानों की पहुंच में हो, बल्कि किफायती भी रहे। सरकार का दावा है एक-दो साल में प्रदेश दूसरे राज्यों को बीज देने लगेगा। प्रदेश के मालवा और निमाड़ क्षेत्र में कपास प्रमुख फसल है। ज्यादातर जगह अच्छे उत्पादन के कारण बीटी कॉटन का इस्तेमाल होता है, पर इसकी कीमत ज्यादा है। पिछले दिनों मोनसेंटो कंपनी ने बीजों की कीमतें बढ़ाई हैं, जिससे केंद्र सरकार असहमत है।
इधर, कपास के बीज को लेकर सरकार ने किसी एक कंपनी का एकाधिकार समाप्त करने और किसानों को सक्षम बनाने का निर्णय लिया है। प्रमुख सचिव (कृषि) डॉ.राजेश राजौरा ने बताया खेती को फायदे का धंधा बनाना है तो लागत घटानी होगी।
इसके लिए ज्यादातर देसी संसाधनों को आगे बढ़ाना होगा। जब बीज और तकनीक हमारी होगी तो लागत भी घटेगी। पांच साल में किसानों की आय दोगुनी करने का जो रोडमैप बनाया है, उसमें बीजों पर आत्मनिर्भरता बढ़ाना प्रमुख है। इसमें भी जैविक खेती को बढ़ावा देना सरकार की प्राथमिकता में है।
65 हजार किसानों की संस्था
मध्य भारत कंपनी ने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय से कपास का जैविक बीज बनाने के लिए करार किया है। अभी देश में जितना भी कपास उत्पादन होता है, उसमें 70 प्रतिशत निर्यात होता है। इसमें आधी भागीदारी मध्यप्रदेश की है। जैविक बीज उपलब्ध होने के बाद मध्यप्रदेश का निर्यात में न सिर्फ हिस्सा बढ़ेगा, बल्कि किसानों का जोखिम कम होने के साथ मुनाफा भी बढ़ेगा।
मार्केटिंग करेगी सरकार
सरकार ने तय किया है कि जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए 10 कृषि फार्म को जैविक बीज बनाने के लिए आरक्षित किया गया है। कृषि विभाग ने जैविक बीज बनाकर उसकी मार्केटिंग बीज निगम के जरिए कराने की तैयारी की है।