कोरबा, सक्ती(छत्तीसगढ़)। पांच वर्षीय नन्हीं सी जान एडविना कांत ने सामरी पाट के चांदों पहाड़ स्थित गौरलाटा शिखर पर पहुंचकर छग की सबसे छोटी पर्वतारोही बनने का गौरव हासिल कर लिया है। सात सदस्यीय दल में शामिल एडविना 11 मई को छग के सर्वोच्च शिखर पर पहुंची और कीर्तिमान स्थापित किया।
एडविना कांत मूलत: जिला कोरबा के तहसील कटघोरा के वनांचल ग्राम बिसनपुर के शिक्षक पर्वतारोही रामकुमार कांत की पुत्री हैं। एडविना ने महज 5 साल 10 माह और 3 दिन की छोटी सी उम्र में यह रोमांचक यात्रा तय की। छग का सर्वोच्च शिखर गौरलाटा, जो छत्तीसगढ़ की उत्तर सीमा व झारखण्ड सीमा पर स्थित रामानुजगंज संभाग के सामरीपाट के चांदों पहाड़ी रेंज पर स्थित है।
गौरलाटा शिखर पर एडविना ने सात सदस्यीय पर्वतारोही दल के साथ 11 मई 2015 को अथक परिश्रम के बाद चढने में सफलता प्राप्त की। इस पर्वतीय शिखर की ऊंचाई 4018 फिट, 1225 मीटर है।
आसान नहीं थी चढ़ाई
ज्ञात हो की गौरलाटा शिखर की चढ़ाई इतनी आसान नहीं थी। क्योंकि यह क्षेत्र नक्सली समस्या से ग्रसित व संवेदनशील है। इस इलाके में लोग व पुलिस बल जाने से कतराते हैं, वहां चढ़ाई करना खतरे से कम नहीं था, पर स्थानीय लोगों के सहयोग से यह मिशन सफल रहा।
एडविना कांत अपने सात सदस्यीय पर्वतारोही दल के साथ गौरलाटा के अलावा सरगुजा, बलरामपुर, बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर चांपा, रायगढ़, उदयपुर व मैनपाट के 11 ऊंची शिखरों पर फतह हासिल कर चुकी हैं। एडविना के पिता रामकुमार कांत सक्ती विकास खण्ड के शासकीय आदिवासी बालक आश्रम अमलडीहा में अधीक्षक पद पर कार्यरत हैं।
एडविना कांत सक्ती स्थित अनुनय कॉवेन्ट स्कूल में केजी-2 की छात्रा है। एडविना के पिता रामकुमार कांत भी सफल पर्वतारोही हैं, जो विश्व के तीसरे ऊंचे पर्वत कंचनजंघा के बेस कैम्प में 18000 फीट तक चढ़ाई कर चुके हैं। वे मॉउण्ट एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए निरन्तर प्रयासरत् हैं।
डविना मतलब एडवेंचर
पिता रामकुमार ने बताया कि उनकी बेटी बड़ी होकर दुनिया में जितने भी का अर्थ है एडवेंचर-विन इसे साहसिक विजय भी कहा जा सकता है। उन्होंने बताया कि प्रथम महिला पर्वतारोही बछेन्द्रीपाल के मार्गदर्शन में एडविना को प्रशिक्षित किया जा रहा है। 4 साल की उम्र में एक के बाद एक चोटियों पर फतह हासिल करना एक रिकार्ड है। इनका सपना दुनिया की सबसे ऊंची चोटी मांउण्ट एवरेस्ट की चढ़ाई पूर्ण करने का है।
पर्यावरण के प्रति चिंतित
गौरलाटा की चढ़ाई कर एडविना रोप व पर्यावरण संरक्षण पर लोगों का ध्यान आकृष्ट करना चाहती है। उनका संदेश है कि जल, जंगल, जमीन व पर्यावरण सुरक्षित रहेंगे तब मानव पृथ्वी पर जीवित रह पाएंगे। इस मिशन में गौरलाटा शिखर पर पहुंचे पर्वतारोही रामकुमार कांत, कुशलाल सिदार, सुभान मिर्जा, विजय टण्डन ,बिसेश्वर सिदार, नेहरू जायसवाल, एडविना कांत हैं। ये दल आगे भी और अधिक उंचाई वाले पर्वत के शिखर पर चढ़ने के लिए लगातार अभ्यासरत है।