अस्तित्व में थी सरस्वती नदी : समिति
पौराणिक कथाओं में वर्णित और अब तक काल्पनिक समझी जाने वाली सरस्वती नदी अस्तित्व में थी।
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Publish Date: Sat, 15 Oct 2016 11:05:29 PM (IST)
Updated Date: Sat, 15 Oct 2016 11:08:32 PM (IST)
नई दिल्ली। पौराणिक कथाओं में वर्णित और अब तक काल्पनिक समझी जाने वाली सरस्वती नदी अस्तित्व में थी। सरकार द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने इस बात का पता लगाया है।
समिति ने सरस्वती नदी के संबंध में रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा है कि सरकार रिपोर्ट पर कार्रवाई करेगी।
समिति का नेतृत्व करने वाले प्रख्यात भूवैज्ञानिक केएस वालदीय ने कहा कि हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि सरस्वती नदी अस्तित्व में थी। यह हिमालय से निकलकर पश्चिम में समुद्र में मिलती थी। यह हरियाणा, राजस्थान और उत्तर गुजरात से होकर बहती थी।
केंद्रीय भूजल बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, सरस्वती नदी कच्छ के रन से होकर समुद्र में मिलने से पहले पाकिस्तान से गुजरती थी। नदी की लंबाई करीब 4,000 किलोमीटर थी। इसका दो तिहाई हिस्सा करीब 3,000 किलोमीटर भारत में पड़ता था।
सात सदस्यीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि नदी की पूर्वी और पश्चिमी दो शाखाएं थीं। इनका संगम पटियाला से 25 किलोमीटर दक्षिण शस्त्राण में होता था। वालदीय ने कहा कि छह महीने के शोध के दौरान नदी की धारा के बदलने के रास्ते का पता चला। यह मौजूदा घग्गर, सारसुति (सरस्वती का अपभ्रंश), हाक्रा और नारा नदियों से जुड़ा है।
उमा भारती ने कहा कि समिति के सदस्यों के प्रयास गंभीर हैं और उन्हें चुनौती नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट पर विशेषज्ञों के सम्मेलन में चर्चा की जाएगी और इसे कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा।