राजस्थान में स्वास्थ्य के अधिकार विधेयक का विरोध बढ़ गया है। इस विरोध के चलते प्राइवेट डॉक्टर्स लगातार आंदोलन कर रहे हैं। नतीजतन राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ा है। विधेयक के विरोध में राजस्थान के निजी अस्पताल मालिकों एवं चिकित्सकों का आंदोलन मंगलवार को 10वें दिन भी जारी रहा। अब प्रदेश के करीब 15 हजार सरकारी चिकित्सकों ने बुधवार को पूरे दिन सामूहिक बहिष्कार करने की घोषणा की है। लोगों को उपचार के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
विरोध कर रहे चिकित्सकों ने कहा कि राज्य सरकार यदि उन पर सख्ती करेगी तो वे भामाशाह और चिरंजीवी चिकित्सा सहित सभी सरकारी योजनाओं को अपने अस्पतालों में लागू करना बंद कर देंगे। अगर आवश्यक्ता हुई तो अस्पताल भी बंद कर देंगे। रेजिडेंट डाक्टरों का बहिष्कार भी लगातार जारी है। इस बीच जयपुर में दो चिकित्सकों ने अनशन प्रारंभ किया और इससे पहले शहर में साइकिल रैली निकाली गई। कोटा में चिकित्सकों का क्रमिक अनशन लगातार तीसरे दिन जारी रहा।
चिकित्सकों की हड़ताल को लेकर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव की खंडपीठ यचिका की सुनवाई करेगी। सेवारत चिकित्सक संघ के अध्यक्ष डा.अजय चौधरी ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उप जिला और जिला अस्पताल के साथ ही मेडिकल कालेजों से जुड़े सभी अस्पतालों में बुधवार को कोई चिकित्सक ड्यूटी पर नहीं पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों के चिकित्सकों के समर्थन में यह निर्णय लिया गया है। हालांकि, आपातकालीन इकाई में अवश्य चिकित्सक मौजूद रहेंगे।
इनका यह कहना है
विधेयक लागू होना चाहिए, लेकिन सरकार के चार कदम पीछे लेने से कोई रास्ता निकल सके तो निकाला जाना चाहिए।
-प्रताप सिंह खाचरियावास, नागरिक आपूर्ति मंत्री
निजी अस्पताल चाहें तो चिरंजीवी योजना में इलाज करना छोड़ दें, लेकिन विधेयक वापस नहीं होगा। आंदोलनकारी चिकित्सक खुद को कानून से ऊपर नहीं समझें। अगर सरकारी चिकित्सकों ने काम बंद किया तो सख्ती की जाएगी।
-परसादी लाल मीणा, चिकित्सा मंत्री-