Kashi Vishwanath Dham Corridor: काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी है ये रोचक जानकारी, जानकर आप भी होंगे हैरान
Kashi Vishwanath Dham Corridor धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक श्रृंगार के समय सभी मूर्तियों का मुख पश्चिम दिशा की ओर होता है।
By Sandeep Chourey
Edited By: Sandeep Chourey
Publish Date: Mon, 13 Dec 2021 12:09:30 PM (IST)
Updated Date: Mon, 13 Dec 2021 12:14:54 PM (IST)
Kashi Vishwanath Dham Corridor । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन कर रहे हैं। इस बीच हम आपको यहां काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी कुछ ऐसे रोचक जानकारी दे रहे हैं, जिन्हें जानकार आप भी हैरान हो जाएंगे -
दो भागों में काशी विश्वनाथ मंदिर
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग दो भागों में है। दाहिने भाग में माँ भगवती शक्ति के रूप में विराजमान हैं, वहीं दूसरी ओर भगवान शिव बाएं रूप में विराजमान हैं, यही कारण है कि काशी को मुक्ति क्षेत्र कहा जाता है। देवी भगवती के दाहिनी ओर विराजमान होने से मुक्ति का मार्ग काशी में ही खुलता है, यहां मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसे दोबारा गर्भ धारण करने की आवश्यकता नहीं होती है।
मूर्तियों का मुख पश्चिम दिशा में
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक श्रृंगार के समय सभी मूर्तियों का मुख पश्चिम दिशा की ओर होता है। काशी विश्वनाथ मंदिर ज्योतिर्लिंग में शिव और शक्ति दोनों एक साथ निवास करते हैं, जो अद्भुत है। ऐसा माना जाता है कि दुनिया में और कहीं नहीं देखा जाता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर के गुंबद में श्रीयंत्र
विश्वनाथ दरबार का गर्भगृह का शिखर श्री यंत्र से सुशोभित है, यह तांत्रिक सिद्धि के लिए उपयुक्त स्थान है। बाबा विश्वनाथ के दरबार में तंत्र की दृष्टि से चार मुख्य द्वार इस प्रकार हैं :- 1. शांति द्वार 2. कला द्वार 3. प्रतिष्ठा द्वार। इसके अलावा चौथा व अंतिम द्वार है निवृत्ति द्वार, जो इन चारों द्वारों का तंत्र में एक अलग स्थान है, पूरी दुनिया में ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां शिव शक्ति एक साथ विराजमान हो और तंत्र द्वार भी हो।
भगवान शंकर का नाम ईशान इसलिए
बाबा का ज्योतिर्लिंग गर्भगृह में ईशान कोण में मौजूद है, इस कोण का मतलब होता है, संपूर्ण विद्या और हर कला से परिपूर्ण दरबार तंत्र की 10 महाविद्याओं का अद्भुत दरबार, जहां भगवान शंकर का नाम ही ईशान है। काशी विश्वनाथ मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण मुख पर है और बाबा विश्वनाथ का मुख अघोर की ओर है इससे मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवेश करता है, यही कारण है कि बाबा के अघोर रूप का दर्शन होता है, यहां से प्रवेश करते ही पाप-ताप विनष्ट हो जाते हैं।
काशी में कभी नहीं हो सकता प्रलय
बाबा विश्वनाथ को त्रिकंटक यानी त्रिशूल पर विराजमान माना जाता है। जो एक त्रिशूल की तरह ग्राफ पर बना हुआ है, इसलिए कहा जाता है कि काशी में कभी भी प्रलय नहीं हो सकता है। यहां बाबा विश्वनाथ गुरु और राजा के रूप में काशी में विराजमान हैं, वे दिन भर गुरु के रूप में काशी में भ्रमण करते हैं। काशी में बाबा विश्वनाथ और मां भगवती की पूजा की जाती है।