Monkeypox Outbreak 2022: यूरोप में मंकीपॉक्स के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इस बीच संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. ईश्वर गिलाडा ने कहा है कि इस बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं है। उनके अनुसार, इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। हमें यह अध्ययन करने की आवश्यकता है कि यह कैसे विकसित हो रहा है। कितने लोग प्रभावित हो रहे हैं? इस समय हम नहीं जानते कि वास्तव में कितने लोग इस बीमारी से मर रहे हैं। हम इसका इलाज नहीं जानते। शायद चेचक के टीके को उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
वहीं जर्मनी में रॉबर्ट कोच इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता फैबियन लेन्डर्ट्ज़ ने मंकीपॉक्स को एक महामारी के रूप में वर्णित किया है, हालांकि वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि मंकीपॉक्स का प्रकोप कोविड-19 जैसी महामारी में विकसित नहीं होगा क्योंकि यह वायरस सार्स-सीओवी-2 जितनी आसानी से नहीं फैलता है। यह बहुत कम संभावना है कि यह महामारी लंबे समय तक चलेगी। मंकीपॉक्स के मरीजों का आसानी से पता लगाया जा सकता है और इसके इलाज के लिए दवाएं और प्रभावी टीके भी हैं।
इससे पहले केंद्र ने नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) को अलर्ट जारी कर विदेश में मंकीपॉक्स के मामलों की स्थिति पर कड़ी नजर रखने को कहा है।
Monkeypox Outbreak 2022: मंकीपाक्स बीमारी 15 देशों तक पहुंची
इस बीच, Monkeypox का इजरायल तथा आस्ट्रिया में भी मामलों की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही अब तक 15 देशों में यह बीमारी फैल चुकी है। इससे पहले शनिवार को स्विट्जरलैंड में Monkeypox के पहले मामले की पुष्टि हुई थी। नीदरलैंड के स्वास्थ्य अधिकारियों ने भी शनिवार को Monkeypox के कई मामले मिलने की पुष्टि की थी। यहां शुक्रवार को पहला मामला मिला था। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल में अन्य संदिग्ध मामलों की भी जांच की जा रही है। इससे पहले यूरोप, अमेरिका, कनाडा और आस्ट्रेलिया में हाल के प्रकोप में 80 से अधिक मामलों की पुष्टि हो चुकी है। ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के अनुसार अधिकांश संक्रमित लोग कुछ हफ्तों के भीतर ठीक हो जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि कई अन्य संदिग्ध मामलों की जांच की जा रही है।