मनीष असाटी, नईदुनिया, टीकमगढ़: ओरछा किसी पहचान का मोहताज नहीं रहा है, लेकिन विश्व धरोहर के रूप में चिह्नित हो जाने से यह विश्व पर्यटन पटल पर अंकित हो जाएगा। मप्र सरकार ने पिछले एक वर्ष में ओरछा को नए कलेवर में परिवर्तित करने की शुरुआत कर दी है। यूनेस्को विश्व धरोहर के रूप में चिह्नित हो जाने से यहां के पर्यटन को नए पंख लगेंगे।
गौरतलब है कि भगवान श्रीरामराजा की नगरी मध्यप्रदेश के ग्वालियर-खजुराहो टूरिस्ट सर्किल के बीच हमेशा से एक अनोखा पर्यटन क्षेत्र रहा है, जिसने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित किया है। बुंदेली किंवदंतियों में ओरछा की महारानी के भगवान राम के प्रति अगाध श्रद्धा, रसोई घर में विराजे भगवान राम की कहानी सबको श्रद्धा और अतीत की स्मृतियों में ले जाती है।
बेतवा नदी का सुरम्य तट, कंचना घाट और घाट के चारों ओर ऐतिहासिक विरासतें ओरछा को विशिष्ट स्वरूप देतीं हैं। ओरछा की इन्हीं विशेषताओं को देखते हुए यूनेस्को (यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल आर्गेनाइजेशन) इसे विश्व धरोहर में शामिल करने जा रहा है।
यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल हो जाने से ओरछा में अब तक पर्यटन क्षेत्र विस्तार में रहने वालीं छोटी-मोटी कमियां जैसे रेलवे स्टेशन का विकास, हवाई कनेक्टिविटी, होम स्टे, होटल का आसपास के क्षेत्रों में भी विकास होने की संभावना है। स्थानीय शिल्प, हस्तकला, और अन्य सांस्कृतिक उत्पादों का प्रचार-प्रसार बढ़ेगा, जिससे उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी। यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट बनने से ओरछा पर शिक्षा, शोध और अध्ययन के नए अवसर खुलेंगे, जिससे इतिहासकारों और शोधकर्ताओं का ध्यान आकर्षित होगा। यूनेस्को की मान्यता से ओरछा में स्थायी और पर्यावरण-संवेदनशील पर्यटन विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिससे लंबे समय तक पर्यटन की संभावनाओं को मजबूती मिलेगी।