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श्योपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। श्योपुर जिले के कूनो-पालपुर अभयारण्य में चीता लाने की तैयारियां फिर शुरू हो रही हैं। चीते दक्षिण अफ्रीका के नामिबिया से लाए जाएंगे। कूनो-पालपुर में चीतों के लिए माकूल जगह देखने के लिए शुक्रवार को वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएलआईआई) के विशेषज्ञ डॉ. वायवी झाला 3 सदस्यीय टीम के साथ आएंगे। टीम की रिपोर्ट के बाद चीता प्रोजेक्ट में तेजी आएगी।
कूनो अभ्यारण के डीएफओ प्रकाश कुमार वर्मा ने बताया, कि वन विभाग की वन्यप्राणी शाखा ने चीता प्रोजेक्ट पर फिर से काम शुरू कर दिया है। इसके लिए कुनो पालपुर और नौरादेही अभयारण्य को चुना था। चीता को शिकार करने के लिए छोटे वन्यप्राणी और लंबे खुले मैदान वाला क्षेत्र चाहिए। उन्हें छिपने के लिए घास की जरूरत होती है। कूनो अभ्यारण में लंबे खुले घास के मैदान हैं।
चीता के भोजन के लिए अभ्यारण में चिंकारा और ब्लैक बक है :
डीएफओ वर्मा के मुताबिक कूनो-पालपुर चीतों के रहवास और भोजन के लिए पूरी तरह से अनुकूल हैं। बता दें, कि चीता का पसंदीदा भोजन चिंकारा और ब्लैक बक (काला हिरन) होता है। साथ ही इसके लिए मैदान भी चाहिए। ताकि वह अपने शिकार को दौड़ाकर पकड़ सके।
4 से 6 चीता लाने की योजना :
डीएफओ वर्मा के मुताबिक इस योजना के तहत करीब 4 से 6 चीता कूनो-पालपुर को मिलने की उम्मीद है। इसमें नर और मादा दोनों शामिल होंगे। सूत्रों की मानें तो अफ्रीकी देश नामिबिया भारत को चीता देने को तैयार है। फिलहाल दुनिया में मौजूदा समय में सात हजार से ज्यादा चीता है। इनकी बड़ी संख्या अफ्रीकी देशों में ही पाई जाती है।
दुर्लभ हो गया है देश में चीता :
डीएफओ वर्मा के मुताबिक देश से चीते नहीं बचे हैं। 1948 में सरगुजा के जंगल में आखिरी बार चीता देखा गया था। केंद्र सरकार इस प्रजाति की पुनर्स्थापना की कोशिशों में लगी है। वर्ष 2010 में केंद्र ने मध्य प्रदेश सरकार से चीता के लिए अभ्यारण्य तैयार करने को कहा था। वन विभाग ने चीता प्रोजेक्ट के लिए कुनो पालपुर अभ्यारण्य का प्रस्ताव दिया था।
1 दिन रुककर टीम चीतों के लिए जगह देखेगी :
डीएफओ वर्मा के मुताबिक डब्ल्यूएलआईआई के सीनियर वैज्ञानिक डॉ वायवी झाला टीम के साथ गुरुवार देर रात श्योपुर आएंगे। शुक्रवार को कूनो-अभ्यारण में चीतों के लिए माकूल जगह देखेंगे। इसके बाद वह शाम को शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क भी जाएंगे।
वर्जन : फोटो नंबर
कूनो-पालपुर अभ्यारण में चीतों का रखने के लिए जगह देखने के लिए शुक्रवार को डब्ल्यूएलआईआई की टीम आ रही है। टीम अभ्यारण में विजिट करेगी, कि चीतों को कहां शिफ्ट किया जाए।
पीके वर्मा, डीएफओ कूनो अभ्यारण।