नरसिंहपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि।अच्छी मिट्टी, पानी और प्रकृति के साथ स्वालंबन के दम से कृषि प्रधान नरसिंहपुर जिला समृद्घि के नए सोपान तय कर रहा है। इस समृद्घि में सबसे ब़ड़ा योगदान जिले के मेहनतकस नवाचारी किसानों और श्रमिकों का है। जो जिले को धन- धान्य से भरपूर बनाने में निरंतर अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे रहे हैं। अपनी मेहनत से उपजाई गई अरहर से तैयार दाल और गु़ड़ के स्वाद की महक देश-दुनिया में फैलाकर जिले की पहचान बढ़ा रहे हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, स़ड़क जैसी कई मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति में जिले का अनवरत विकास हो रहा है। प़ड़ोसी सात जिलों की सीमाओं से घिरे नरसिंहपुर जिले से निकलने वाले तीन राष्ट्रीय राजमार्ग जिले में विकास के पहिए को गति दे रहे हैं। धर्म-अध्यात्म, कला, खेल समेत अन्य सेवा के क्षेत्रो में नरसिंहपुर की माटी का योगदान अवर्णनीय है।
नर्मदा और सहायक नदियां नयनाभिराम दृश्य प्रस्तुत करतीं हैं:
जिले की समृद्घि में यहां का अनुकूल पर्यावरण बहुपयोगी रहा है। सतपु़ड़ा और विंध्याचल की पहाड़ियों से घिरा होने, नर्मदा समेत अन्य सहायक नदियों के कारण यहां दर्जनों प्राकृतिक सौंदर्य के केंद्र हैं। जो आगंतुक के लिए नयनाभिराम दृश्य प्रस्तुत करते हैं। बात सबसे पहले समृद्घि की करें तो जिला मूलतः कृषि प्रधान है। यहां कृषि आधारित उद्योग धंधे फलीभूत हैं। जिले के किसानों में नवाचार की प्रवृत्ति उन्हें प्रदेश के बाकी जिलों के मुकाबले अधिक प्रगतिशील बनाती है। मसलन, दो दशक पूर्व तक जिले को सोयाबीन का कटोरा कहा जाता था। यहां हर दूसरा किसान सोयाबीन की नकदी फसल लेता था। कालांतर में किसान गन्ने की ओर अग्रेषित हुए। करीब एक दशक से जिले में गन्ने की फसल किसानों की समृद्घि बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हुई है। जिले में उत्पादित होने वाले गन्ने की मिठास संपूर्ण मध्यप्रदेश में है। यहां प्रति क्विंटल गन्ने में शुगर की रिकवरी करीब 12 प्रतिशत तक है।
पवित्र घाटों के लिए प्रसिद्धः
जिले की प्रमुख नदी नर्मदा है, जो कि जबलपुर से रायसेन के बीच करीब सौ किमी लंबाई में सफर तय करती है। इसका बरमान घाट सबसे पवित्र और रमणीय स्थल है। यहां सतधारा, पांडव कुंड दर्शनीय हैं। इसी तरह सांकल घाट पर आदि शंकराचार्य का दंड दीक्षा स्थल गुरु गुफा सनातन धर्म का पवित्र क्षेत्र है। ककराघाट, चिनकी उमरिया, समनापुर, धरमपुरी, शगुनघाट, मुआरघाट, झांसीघाट का प्राकृतिक सौंदर्य रमणीय है। सहायक नदियों शेढ़ पर बरहटा के पास टोनघाट जलप्रपात, गाडरवारा में शक्कर नदी के घाट-कटाव के अलावा दुधी, सीतारेवा, बाणगंगा, बरांझ, बारूरेवा आदि नदियों के मुहाने, आसपास वनाच्छादित वातावरण, नर्मदा से मिलन का स्थल मनोरम नजारा पेश करता है। नरसिंहपुर का प्राचीन नरसिंह मंदिर, गरारू का गरूण मंदिर, नर्मदा की दो धाराओं के बीच टापू पर बना दीपेश्वर मंदिर, परमहंसी का त्रिपुर सुंदरी माता मंदिर जैसे शक्ति साधना के कई धर्म स्थल जिले में धर्म-अध्यात्म के निरंतर प्रवाह के साक्षी हैं।
धर्म-अध्यात्म की चेतना का मुख्य केंद्रः
नरसिंहपुर जिला धर्म-अध्यात्म की चेतना का भी प्रमुख केंद्र है। भगवान आदि शंकराचार्य की तप व दंड दीक्षा स्थली के रूप में सांकलघाट गुरुगुफा अपने आप में एक तीर्थक्षेत्र है। ब्रह्मलीन द्वीपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की तप व समाधिस्थली परमहंसी गंगा आश्रम जिले की आस्था का प्रमुख केंद्र है, जहां अपने गुरु के सानिध्य में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरांनद व द्वारका शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने भी वेदो की शिक्षा ग्रहण करते हुए तप-साधना की। अपने दर्शन से समूचे विश्व में प्रसिद्घ हुए आचार्य रजनीश ओशा की लीला स्थली भी नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा में है जहां आश्रम बना हैं।
अभिनेता राणा ने दी जिले को नई पहचानः
प्रसिद्घ अभिनेता आशुतोष राणा की जन्मस्थली भी गाडरवारा है, जिन्होंने अपनी अभिनय क्षमता से देश और देश के बाहर पहचान बनाई है तो वहीं उनके कारण नरसिंहपुर जिले को भी नई पहचान मिली है। यहीं एक और उभरते कलाकार मोहित डागा भी टेलीविजन की दुनिया से कलाक्षेत्र में अपना और जिले का नाम रोशन कर रहे हैं।