बेटमा। मां अन्नापूर्णा मित्र मंडल द्वारा नवरात्र पर्व पर बुधवार को चुनरी यात्रा निकाली गई। गाजे-बाजे के साथ कचहरी घाटी से प्रातः 10 बजे प्रारंभ हुई चुनरी यात्रा विभिन्ना मार्गों से होती हुई अन्नापूर्णा मंदिर पहुंची। यात्रा के दौरान बालिकाएं सिर पर कलश धारण किए हुए चल रही थीं, वहीं महिलाएं 151 फीट की चुनरी थामे चल रही थीं। इस दौरान बच्चे केसरिया ध्वज थामे अश्वों पर सवार थे। श्रद्घालु भक्ति गीतों पर गरबा करते हुए आगे-आगे चल रहे थे। सुसज्जिात वाहन में नौ कन्याएं माता के रूप में सवार थीं, वहीं कालका माता व राधा-कृष्ण के रूप में कलाकार प्रस्तुति देते हुए चल रहे थे। चुनरी यात्रा का जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। मां अन्नापूर्णा को चुनरी अर्पित करने के बाद पुजारी चंद्रशेखर दुबे, आनंद दुबे व राम दुबे ने आरती कराई। अंत में खिचड़ी का प्रसाद वितरण के साथ यात्रा का समापन हुआ। आभार सूर्यपाल धामंदिया ने माना।
'रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा, चलेगी बयार तो कुछ रहेगा नहीं...,
देपालपुर। रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा, चलेगी बयार (हवा) तो कुछ रहेगा नहीं, तुमने पत्थर दिल कह तो दिया पत्थर पर लिखोगे तो मिटेगा नहीं।
राष्ट्रीय कवि डॉ. विष्णु सक्सेना ने जब विजयस्तंभ चौक पर यह गीत सुनाया तो श्रोता तालियां बजाने पर मजबूर हो गए। हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा ने अपनी रचना सुनाई कि 'पहले मैं मां-बाप के साथ रहता था, अब मां-बाप मेरे साथ रहते हैं। पहले एक कमरे में घर हुआ करता था। अब कमरे तो खूब हैं पर घर नहीं है। पहले एक चद्दर सब ओढ़कर सोया करते थे। अब चद्दर तो खूब हैं पर सोने वाला कोई नहीं'। सुरेंद्र शर्मा ने कहा कि देश में माता-पिता, दादा-दादी का सम्मान होना चाहिए तो तुम्हें भी तुम्हारे बेटे-बेटी, पुत्र-पुत्री सम्मान से देखेंगे। यदि तुमने तुम्हारे दादा-दादी माता-पिता को अलग रखा तो आने वाले समय में तुम्हारा भी ऐसा ही हाल होगा।
नगर में संस्था निर्भय द्वारा मंगलवार को विजय स्तंभ चौक पर आयोजित कवि सम्मेलन में अनेक कवियों ने अपनी रचनाएं सुनाईं। वेदव्रत वाजपेयी, विष्णु सक्सेना, डॉ. कीर्ति काले, हरीश हिंदुस्तानी, मनुव्रत वाजपेयी आदि ने भी अपनी रचनाएं सुनाईं। संचालन सत्यनारायण सत्तन ने किया। उन्होंने 370 पर कविता सुनाई 'खंड-खंड-खंड मिलाकर देश अखंड बनाने को चाय वाला निकल चुका है, देश अखंड बनाने को 370 को एक झटके में ही हटा दिया, अलगाववादी और उग्रवादियों को जेल में डाल दिया, देश की जनता को लद्दाख और कश्मीर का नया उपहार दिया।' इसके पूर्व कवियों व अतिथियों का स्वागत पूर्व विधायक मनोज पटेल ने किया। चिंटू वर्मा, विमल यादव, गोपाल कटेसरिया, मुकेश जैन, महेश पुरी गोस्वामी, रवि चौरसिया, अनिल धाकड़, जितेंद्र माली, लाखन नागर, अजय आहूजा आदि ने सत्यनारायण सत्तन का स्वागत किया। पूर्व विधायक मनोज पटेल ने गोसेवक विजय मंडोवरा का गोसेवा के लिए सम्मान किया, गरीब परिवारों की मदद के लिए प्रवीण जैन चौधरी तथा 46 वर्षों से विजय स्तंभ चौक पर माताजी की मूर्ति स्थापना में अहम सहयोग करने वाले रूपचंद जैन काकाजी को चुनरी ओढ़ा कर सम्मान किया। आभार ईश्वरी प्रकाश शर्मा ने माना।