RIP Mannu Bhandari: भानपुरा (मंदसौर), नईदुनिया न्यूज)। साहित्यकार, कहानीकार, उपन्यासकार, भानपुरा की गौरव मन्नू भंडारी का सोमवार को निधन हो गया। हालांकि यह बात मंदसौर जिले में बहुत ही कम लोग यह जानते हैं कि इतनी बड़ी हस्ती का जन्म भानपुरा में हुआ था।
मन्नू भंडारी का जन्म मंदसौर जिले के भानपुरा में जगदीश मंदिर गली में स्थित भंडारी निवास में तीन अप्रैल 1931 को हुआ था। पिता सुखसंपतराय भंडारी स्वातंत्रता संग्राम सेनानी के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। मन्नू भंडारी जब छह वर्ष की थीं, तभी उनका परिवार भानपुरा से अजमेर चला गया था। उनकी प्राथमिक शिक्षा वहीं हुई। इसके बाद वे बीच-बीच में कुछ काम से ही भानपुरा आईं।
अंतिम बार पांच अक्टूबर 2002 को पति साहित्यकार राजेंद्र यादव के साथ आई थीं। इस दौरान चार दिन अपने काकाजी के स्वर्ण जयंती समारोह में शामिल हुई थीं। उनके पिता देश की पहली हिंदी टू इंग्लिश व इंग्लिश टू मराठी डिक्शनरी के लेखक थे। साथ ही हिंदी परिभाषिक कोष, ओसवाल जाति, माहेश्वरी जाति के इतिहास के लेखक थे। मन्नाू भंडारी जब भी भानपुरा आती तो क्षेत्र के पर्यटन स्थलों पर जाती थीं।
इनका उन्होंने अपनी पुस्तकों में उल्लेख किया हैं। पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी महेंद्र कुमारी को सभी प्यार से मन्नाू बुलाते थे। बाद में उन्होंने अपना यही नाम रख लिया। हिंदी की आधुनिक कहानीकार, उपन्यासकार, श्रेष्ठ लेखिका थीं। उनके अंतिम भानपुरा प्रवास पर इतिहास परिषद द्वारा सम्मानित किया गया था। भानपुरा के इतिहासकार डा. पीके भट्ट ने बताया कि वे भानपुरा की गौरव थीं। उनकी लिखी पुस्तकों पर कई विद्यार्थियो ने पीएचडी की है।
पिता का बहुत प्रभाव था
जिस मकान मेंमन्नू भंडारी का जन्म हुआ वह आज भी अच्छी स्थिति में हैं। मकान की देखभाल के लिए एक चौकीदार रखा हुआ है। मन्नू भंडारी के जीवन पर पिता का बहुत प्रभाव था। पिता अजमेर के बाद इंदौर आ गए थे। कांग्रेस का सबसे पहला कार्यालय 1920 में इनके पिता के निवास पर ही खुला था। महात्मा गांधी जब पहली बार इंदौर आए, तब मन्नाू भंडारी के पिता सुखसंपत राय भंडारी ही स्वागत समिति के अध्यक्ष थे।
मप्र में मन्नू भंडारी की सेवाएं बहुत कम रहीं। वे 1992 से 1994 तक विक्रम विवि की प्रेमचंद सृजन पीठ की डायरेक्टर थीं। उन्होंने कई फिल्मों की पटकथाएं भी लिखीं। 1950 से 1960 तक आजादी के बाद भारत की श्रेष्ठ लेखिका रहीं। 1959 में साहित्यकार राजेंद्र यादव से विवाह किया था।
सबसे ज्यादा ख्याति उपन्यास 'आपका बंटी" व 'महाभोज" से मिली। रजनीगंधा, निर्मला, स्वामी, दर्पण फिल्मों की पटकथाएं भी लिखीं। 2008 में उपाधिन्यास से सम्मानित किया गया। जब भी मन्नू भंडारी भानपुरा आती थीं तो यहां के पर्यटन स्थलों विशेषकर तक्षकेश्वर, छोटा महादेव, बड़ा महादेव जरुर जाती थीं। अपनी जन्म स्थली भानपुरा को हमेशा यादों में संजोए रखा।