Indore News: यहां पढ़ने का भी है ‘नाइट कल्चर’
Indore News: शहर की पुरानी बसाहट शंकर गंज में यह तीन मंजिला वाचनालय रूपांकन वाचनालय के रूप में पहचाना जाता है।
By Sameer Deshpande
Edited By: Sameer Deshpande
Publish Date: Sat, 31 Dec 2022 12:35:29 PM (IST)
Updated Date: Sat, 31 Dec 2022 12:35:28 PM (IST)
Indore News: इंदौर, नईदुनिया प्रतिनिधि। इंदौर केवल खाने-खिलाने वालों का ही शहर नहीं है, बल्कि इस शहर में पढ़ने-पढ़ाने की परंपरा भी बहुत पुरानी है। यहां यदि खानपान की दुकानें रातभर खुली रहती हैं, तो किताबों के शौकीनों के लिए भी रातभर पढ़ने की माकूल व्यवस्था भी है। पढ़ने-पढ़ाने के शौकीनों के लिए यूं तो शहर में कई पुस्तकालय हैं, लेकिन जिंसी क्षेत्र में एक वाचनालय ऐसा भी है, जिसके दरवाजे पढ़ने वालों के लिए कभी बंद नहीं होते। किताबों में रुचि रखने वाला भले ही किसी भी उम्र का हो उसके लिए हर वक्त यहां की किताबें उपलब्ध रहती है।
दिन में व्यस्ता के चलते जो किताबों की दुनिया से दूर रह जाते हैं उन्हें रात में यह वाचनालय आश्रय ही नहीं देता बल्कि किताबें और साथ पढ़ने वालों की सोबत भी देता है। यहां जिसे जब जरूरत होती है मनचाही किताब ले जाता है और जिसे जब किताबें वाचनालय को भेंट करना होती है वह रख जाता है। न कोई पूछने वाला और ना ही बताने की औपचारिकता। शहर की पुरानी बसाहट शंकर गंज में यह तीन मंजिला वाचनालय रूपांकन वाचनालय के रूप में पहचाना जाता है।
2004 में इस वाचनालय की शुरुआत चंद किताबें और अखबार के साथ हुई थी। युवा पाठकों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए इसे शुरू किया गया और धीरे-धीरे इसका आकार, समृद्धी, अहमियत और लोकप्रियता बढ़ती गई। आज प्रतिदिन यहां 150 से अधिक पाठक आते हैं और निश्शुल्क ज्ञान प्राप्त करते हैं। यदि किसी को कोई किताब घर ले जाना है तो उसे किसी से पूछना नहीं पड़ता। यहां एक मेज पर रखे रजिस्टर में वह स्वयं ही अपना व किताब का नाम लिख देता है और जब किताब जमा करता है तो उसकी जानकारी भी खुद ही लिखकर दे देता है। खास बात तो यह है कि यह औपचारिकता भी यहां पढ़ने वालोें ने खुद तय की है।
और रात में भी खुला रहने लगा वाचनालय
यूं तो इस वाचनालक का कोई एक संचालक नहीं लेकिन इसे शुरू करने वालों से एक अशोक दुबे बताते हैं कि जब किताबों में रूचि रखने वालों के लिए छोटा सा वाचनालय शुरू किया था तब नहीं सोचा था कि रात में भी ज्ञान का प्रकाश यहां से फैलेगा। नौकरी या अन्य जिम्मेदारी के चलते जो दिन में नहीं पढ़ पाते थे वे यहां रात तक पढ़ने के लिए बैठने लगे और धीरे-धीरे वे भी रात में यहां पढ़ने आने लगे जो घर छोटा होने के कारण अपने घर में रात में नहीं पढ़ सकते या जरूरत की हर किताब खरीदने में असमर्थ हैं। आपसी सहयोग से इस वाचनालय का संचालन हो रहा है और अब तो कई पाठक ही इसके संचालन की जिम्मेदारियां उठाने लगे हैं। यहां आने वाले पाठक 7 वर्ष से लेकर 70 वर्ष तक के हैं। कई विद्यार्थी तो यहां रातभर भी पढ़ते नजर आते हैं।
पढ़ने के साथ चाय की भी सुविधा
प्रतियोगी परीक्षा, पाठ्यक्रम, कला, साहित्य, विज्ञान, भाषा, शब्दकोष, नाटक की किताबें और समाचार पत्र-पत्रिकाओं से संपन्न इस वाचनालय में पढ़ने वालों के लिए बकायदा गैस कनेक्शन और कुछ बर्तन भी रखे हुए हैं ताकि वे चाय-काफी बना सकें। कई युवा तो यहां भोजन लेकर भी आते हैं और गैस की मदद से खाना गर्म कर वाचनालय के पीछे बने बगीचे में भोजन कर दोबारा पढ़ने बैठ जाते हैं। यूं तो वाचनालय प्रबंधकों द्वारा चाय-काफी के लिए सामग्री मुहैया करा दी जाती है, लेकिन कभी कोई सामग्री नहीं होती तो पाठक खुद ही उसे ले आते हैं। इसका लाभ यह होता है कि उन्हें चाय-काफी के लिए वाचनालय से बाहर नहीं जाना पड़ता।