- कैसे बढ़ेंगे आगे : शहर के फुटबाल खिलाड़ियों का नहीं हो रहा पंजीयन, स्पर्धाओं में हिस्सा लेना मुश्किल
- 1500 से ज्यादा खिलाड़ी इंदौर में विभिन्न मैदानों पर करते हैं अभ्यास
Indore Local Sports: कपीश दुबे, इंदौर। शहर में फुटबाल का संचालन करने की जिम्मेदारी जिन पदाधिकारियों पर है, उनकी खींचतान का खामियाजा खिलाड़ियों को भुगतना पड़ रहा है। जिला फुटबाल संगठन में विवाद के कारण इंदौर के खिलाड़ियों का पंजीयन नहीं हो पाया। नतीजतन इंदौर के होनहार किसी भी प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धा में हिस्सा नहीं ले सकेंगे।
इंदौर जिला फुटबाल संगठन (डीएफए) में सत्ता पक्ष के खिलाफ इंदौर और महू के क्लबों ने पिछले साल बगावत कर दी थी। नवंबर 2021 से यह विवाद आधिकारिक रूप से सामने आ गया था। खींचतान के बाद मप्र फुटबाल संगठन (एमपीएफए) ने भोपाल में दोनों पक्षों की बैठक बुलाई, जिसके बाद पूरी कार्यकारिणी तो भंग नहीं की गई, लेकिन सचिव पद को लेकर हुए विरोध के बाद विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। यह विवाद हल न होने के कारण इंदौर और महू के किसी खिलाड़ी का पंजीयन नहीं हो सका है। खिलाड़ियों के दो साल कोरोना के कारण खराब हुए और अब विवाद के कारण उनकी मेहनत पर पानी फिरता दिख रहा है।
नियमानुसार हर क्लब को अपने खिलाड़ियों का एमपीएफए से पंजीयन कराना होता है। आमतौर पर नए सत्र का पंजीयन एक अप्रैल से शुरू हो जाता है और मई तक सभी क्लब पंजीयन करा लेते हैं, मगर अब तक इंदौर के खिलाड़ी पंजीयन राह देख रहे हैं। अभी मप्र अंडर-18 लीग होना है। इसके अलावा अंडर-17 बालिका वर्ग का प्रदेश का टूर्नामेंट भी होना है। अब क्लब मांग कर रहे हैं कि जब तक विवाद का हल न हो, इंदौर में तदर्थ समिति बनाई जाए।
पंजीयन को लेकर पहले भी हुए हैं विवाद
डीएफए के उपाध्यक्ष रामचंद्र चौहान ने बताया कि पंजीयन को लेकर भी विवाद रहा है। कुछ टीमों से पैसे लेकर रसीद नहीं दी गई। वहीं कुछ टीमों के पैसे जमा नहीं हुए। एक बार पंजीयन कार्ड नहीं होने से टीम को लौटना भी पड़ा है। इन्हीं मुद्दों को लेकर विरोध है।
क्या कहते हैं ये
हम चाहते हैं कि इंदौर का विवाद जल्द हल हो। इंदौर और महू के बहुसंख्यक क्लबों की मांग मानी जाए। जब तक विवाद का समाधान नहीं होता, एमपीएफए इंदौर में फुटबाल के संचालन के लिए दोनों पक्षों को शामिल कर तदर्थ समिति बना दें। इससे खिलाड़ियों का नुकसान नहीं होगा।
-राकेश सिरसिया (विपक्ष से सचिव पद के दावेदार)
पंजीयन न होने से खिलाड़ियों को होने वाले नुकसान से प्रदेश संगठन भी चिंतित है। भोपाल में अप्रैल में हुई बैठक में दोनों पक्षों की मांग थी कि जब तक विवाद का हल न हो, किसी खिलाड़ी का पंजीयन न किया जाए। हम चाहते हैं कि किसी खिलाड़ी का नुकसान न हो।
-अमित देव (सचिव, एमपीएफए)
एमपीएफए को ही फैसला लेना है। हम भी चाहते हैं खिलाड़ियों का भला हो। हमने अपना पक्ष रख दिया है। अब जो फैसला होगा हमें मान्य है।
- लोकेंद्र वर्मा (वर्तमान सचिव)