IIT Indore: नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) इंदौर को बड़ी उपलब्धि मिली है। संस्थान में ओपन-सोर्स साफ्टवेयर के जरिए दो चिप ‘हार्डवेयर सिक्योरिटी और मैट्रिक्स मल्टीप्लायर’ डिजाइन किए हैं। इन चिप को ईफेबलेस ओपन मल्टी प्रोजेक्ट वेफर (एमपीडब्ल्यू) कंपनी ने फेब्रिकेट करने के लिए चुना है। दरअसल, कंपनी को दुनियाभर से 144 चिप के डिजाइन प्राप्त हुए थे, जिसमें 83 भारत से थीं। इसमें आइआइटी इंदौर की दो चिप का चयन हुआ है।
शोधार्थी नेहा माहेश्वरी ने हार्डवेयर सिक्योरिटी चिप डिजाइन की है। यह चिप एक हार्डवेयर सिक्योरिटी एप्लिकेशन के लिए काम करेगी, जो साइबर खतरों से सुरक्षा बढ़ाएगी। यह डिवाइस आथेंटिकेशन और प्राइवेसी पालिसी जैसे विभिन्न एप्लिकेशन के लिए सिक्योरिटी बढ़ाने में मदद करेगी, जिससे अनधिकृत पहुंच और छेड़छाड़ से सुरक्षा मिलेगी। दूसरी चिप शोधार्थी राधेश्याम शर्मा ने अपनी टीम एमटेक की छात्रा कोमल गुप्ता और बीटेक छात्र सात्विक रेड्डी के साथ मिलकर बनाई है।
उन्होंने मैट्रिक्स मल्टीप्लायर डेवलप किया है, जोकि एआइ चिप में इस्तेमाल किए जाते हैं। यह चिप आवाज पहचानने, इमेज प्रोसेसिंग और कंप्यूटर ग्राफिक्स जनरेट करने के लिए उपयोगी होती है। आटोमेटिक कार में इमेज सेंसिंग के लिए इसी चिप का इस्तेमाल होता है।
आइआइटी इंदौर के संकाय सदस्य और पर्यवेक्षक प्रोफेसर एसके विश्वकर्मा ने बताया कि चिप सेमीकंडक्टर डिजाइन में यह एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर चिप डिजाइन करना सबसे बड़ी समस्या है। क्योंकि इसके लिए जो साफ्टवेयर व हार्डवेयर प्रयोग होते हैं, उनकी कीमत काफी ज्यादा होती है।
इसके चलते संस्थानों में इस साफ्टवेयर का इस्तेमाल कर पाना मुश्किल होता है। हालांकि कुछ साफ्टवेयर हैं, जहां निश्शुल्क चिप को डिजाइन किया जाता है। इसके बाद चिप की डिजाइन को ईफेबलेस कंपनी के पास भेजा जाता है।
यह कंपनी निश्शुल्क चिप को फेब्रिकेट करती है। हालांकि यहां चिप का सिलेक्शन होना मुश्किल कार्य होता है। क्योंकि दुनियाभर से कंपनी के पास डिजाइन आते हैं, जिसमें से वह सिर्फ सबसे बेहतर डिजाइन वाली व अधिक उपयुक्त चिप को ही चुनते हैं और उसे निश्शुल्क फेब्रिकेट करते हैं। ऐसे में आइआइटी इंदौर की चिप का चयनित होना बड़ी उपलब्धि है।