नईदुनिया, ग्वालियर: मध्य प्रदेश के सीबीएसई स्कूलों में डमी प्रवेश धड़ल्ले से हो रहे हैं। इन पर नकेल कसने की तैयारी अब सीबीएसई ने कर ली है। प्रदेशभर में अभियान चलाकर ऐसे स्कूलों को चिह्नित किया जा रहा है, जो डमी प्रवेश ले रहे हैं। इसके लिए टीम स्कूलों में पहुंचकर छात्रों की संख्या, उनकी अभी तक की हाजिरी चेक कर रही है। यह पड़ताल प्रदेश में शुरू हो चुकी है।
इसको लेकर स्कूल प्रबंधन में हड़कंप की स्थिति है, क्योंकि यह टीम पूरा फार्मेट बनाकर अपने साथ लाई है, जिसमें डमी प्रवेश व कक्षा ही नहीं, स्कूलों में बच्चों के अनुपात में शिक्षकों की संख्या, अधोसंरचना भी देख रही है। इसी क्रम में गत दिवस भोपाल से आईं टीमों ने ग्वालियर के स्कूलों का सर्वे किया और 15 दिन में रिपोर्ट स्कूलों को भेजने को कहा।
नीट और जेईई की तैयारियों के लिए छोटी उम्र से ही छात्रों को तैयारी कराई जाती है। इसके लिए पूर्व में कक्षा नौ से ही छात्रों के प्रवेश कोचिंग में कराए जाते थे, लेकिन अब कक्षा छह से ही कोचिंग ज्वाइन कराई जा रही है। छात्रों को पूरे दिन कोचिंग में तैयारी कराई जाती है।
इसके चलते वे स्कूल की कक्षा में हाजिर नहीं हो पाते। यहीं सीबीएसई स्कूल और कोचिंगों का गठजोड़ काम करता है। स्कूल बच्चों से पूरी फीस लेकर डमी प्रवेश देते हैं, जिसका लाभ यह होता है कि छात्रों को कक्षा में हाजिरी नहीं देनी पड़ती और उनकी हाजिरी लगती रहती है।
सीधी बात यह कि सीबीएसई स्कूल गाइडलाइन का कितना पालन कर रहे हैं, इसकी एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी। यह निरीक्षण स्कूल के शैक्षणिक स्तर को सुधारने के लिए किया जा रहा है। सीबीएसई के इस अभियान को ग्वालियर के कुछ स्कूल ने तो सराहा है, लेकिन कुछ इससे नाखुश हैं। क्योंकि वह पहले से ही काफी संख्या में प्रवेश लिए बैठे हैं। यदि उनके यहां औचक निरीक्षण होता है, तो उन्हें नोटिस मिलना तय है।