डिंडौरी गोरखपुर नईदुनिया प्रतिनिधि (Elephant Attack in Dindori)। डिंडौरी जिले के करंजिया विकासखंड अंतर्गत पश्चिम करंजिया रेंज वन विभाग एरिया में बीते चार दिनों से जंगल में डेरा जमाएं हाथियों का आतंक बढ़ रहा है।
इसी दौरान शनिवार की देर रात बोयरहा के कक्ष क्रमांक 392 से शाम गजराज के दल ने अम्हादादर में ग्रामीणों के घरों में तोड़-फोड़ कर खेत खलिहान में रखें फसलों को खाकर जमीन में बिखेरते हुए चौपट कर दिया।
शनिवार की देर शाम खम्हारखुदरा के पोषक गांव अम्हादादर पहुंचे हाथियों के दल ने रात 9:30 से लेकर 3 बजे तक गांव के अंदर घूम-घूमकर काफी उत्पात मचाया। स्थानीय नागरिक संत कुमार पट्टा, जयसिंह मरकाम, लमिया बाई के रहवासी मकान को क्षतिग्रस्त करते हुए घर में रखें अनाज कोदो कुटकी को खा गए।
हाथियों के दल ने खलिहान में गहाई के लिए रखें फसल को तहस-नहस करते हुए जमीन पर बिखेर दिया। गौरतलब हैं कि हाथियों के इस अचानक हमले से ग्रामीण खुद को किसी तरह मुश्किल से बचा पाए। डरे हुए ग्रामीण रातभर जागते रहे।
डिंडौरी जिले के छत्तीसगढ़ सीमा से लगे हुए पश्चिम करंजिया वन परिक्षेत्र में हाथियों ने लगभग एक दर्जन से अधिक किसानों की फसलों को प्रभावित किया है। शुक्रवार की रात ग्राम केन्द्रा बहरा के नौ किसान ऐसे हैं, जिनकी फैसले अधिक प्रभावित हुई है।
चार हाथियों के दल ने चैतू सिंह, पंडा सिंह, राम प्रसाद सिंह, फूल सिंह, चैन सिंह, सुखन बाई, मचगार सिंह, मोहतु सिंह, कुंजन सिंह सहित अन्य ग्रामीणों की धान की फसल बड़ी मात्रा में क्षतिग्रस्त की है।
गौरतलब है कि हाथी गुरुवार को छत्तीसगढ़ के जंगलों से जिले की सीमा में पहुंचे हैं। हाथी अभी देवतराई नाला के साथ बोयरा, केन्द्रा बहरा दोमुहानी के आसपास ही देखे जा रहे हैं।
केन्द्रा बहरा के किसानों की फसल हाथियों ने प्रभावित किया है। खेत में खड़ी फसल के साथ खलिहान में रखी फसलों को भी बड़ी मात्रा में नुकसान पहुंचा है। वन विभाग द्वारा प्रभावित किसानों को मुआवजा दिलाने की पहल की जा रही है। डीएफओ के साथ एसडीओ और रेंजर भी मैदानी अमले के साथ ग्रामीणों को गांव जाकर समझाइश दे रहे हैं।
ग्रामीणों को पक्के मकान में रहने की समझाइस देने के साथ रात में खेत और खलिहाल न जाने की भी सलाह दी जा रही है।बताया गया कि हाथी दिनभर आराम करते हैं और शाम होते ही फसलों को प्रभावित करने निकल पड़ते हैं। आसपास के गांव में मुनादी भी कराई जा रही है।
बताया गया कि प्रधानमंत्री आवास ग्रामीणों की जान बचाने के लिए बड़ा सहारा बने हुए हैं। गौरतलब है कि वन ग्रामों में बैगा और आदिवासी जनजाति के लोगों के कई घर कच्चे मिट्टी के बने हुए हैं। कच्चे मकानों को हाथी आसानी से क्षतिग्रस्त कर देते हैं। ऐसे में लोगों की जान का खतरा भी बना रहता है। पक्के मकान को हाथी प्रभावित अधिकांश नहीं कर पाते।
ऐसे में लोगों को सुरक्षित रहने की सलाह दी जा रही है।हाथियों ने खनिहाल में बने कुछ झोपड़ों को भी प्रभावित किया है। बताया गया कि ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। हाथी अधिकांश वन ग्रामों में ही फसलों को प्रभावित कर रहे हैं। यह ऐसा समय है जब फसल काटने के साथ गहाई करने में किसान जुटे हुए हैं।
पककर तैयार फसल को प्रभावित करने से किसानों को भी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है। वन विभाग के जिम्मेदार इस पर विशेष नजर रखे हुये है कि कोई जनहानि न हो। इसको लेकर ग्रामीणों को लगातार अलर्ट किया जा रहा है।डीएफओ और रेंजर प्राची मिश्रा द्वारा रात में भी ग्रामीणों से चर्चा कर उन्हें समझाइस दी गई है। दिन में हाथियों के मूवमेंट पर भी नजर रखी जा रही है।
हाथियों का दल अभी भी देवतराई नाला के आसपास ही है। शुक्रवार और शनिवार की रात लगभग एक दर्जन से अधिक किसानों की फसल को हाथियों ने प्रभावित किया है। प्रभावित फसलों का सर्वे करने के साथ मुआवजा के लिए प्रकरण भेज दिया गया है। आसपास के गांव में लगातार मुनादी करा कर लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है। ग्रामीणों को पक्के मकान में रहने की सलाह देने के साथ घर के सामने आग जलाकर रखना और महुआ घर के अंदर न रखने की भी समझाइए दी गई है। लगातार ग्रामीण अंचलों का भ्रमण कर हाथियों पर नजर रखी जा रही है।- प्राची मिश्रा, वन परिक्षेत्र अधिकारी पश्चिम करंजिया डिंडौरी