Nauradehi Wildlife Sanctuary: दमोह/तेंदूखेड़ा, नईदुनिया न्यूज। नौरादेही अभयारण्य में बाघ एन 2 किशन की लड़ाई बाघ एन 3 से हुई थी जिसमें किशन की शनिवार को मौत हो गई थी। वहीं लड़ाई के बाद से एन 3 बाघ लापता हो गया था और उसके भी घायल होने की संभावनाएं व्यक्त की जा रही थी, लेकिन सोमवार को वह गस्ती दल को मिल गया है। बताया जा रहा है कि एन 3 बाघ ने एक चीतल का भी शिकार किया है। इसकी पुस्टि सिंगपुर रेंजर सौरभ जैन ने की है। उन्होंने बताया कि वह बिल्कुल स्वस्थ्य है और जंगल में घूम रहा है।
शनिवार की सुबह गस्ती दल को एन 2 बाघ किशन बामनेर नदी में मृत अवस्था में मिला था। जिसकी जानकारी सिंगपुर रेंजर द्वारा उच्च अधिकारियों को दी गई। जबलपुर से आई डाक्टरों की टीम ने बाघ का पोस्टमार्टम किया जिसमें पुस्टि हुई कि बाघ घायल होने के बाद भूखा भी रहा है और उसने कुछ नहीं खाया, क्योंकि पेट से कुछ नहीं निकला। सागर सीसीएफ एके सिंह ने बताया कि सात जून को बाघ एन 2 और एन 3 में वर्चस्व को लेकर लड़ाई हुई थी। जिसमें एन 2 के मुंह, सिर और शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटे आई थी। लड़ाई में उसके दांत भी टूट गये थे इसलिए वह शिकार करने में असमर्थ हो गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार बाघ ने दस दिन से कुछ नहीं खाया था और उसकी मौत भूख के कारण हो गई थी।
एन 2 बाघ के घटना के तीसरे दिन ही मिल गया था, लेकिन एन 3 का कोई सुराग नहीं मिल रहा था। जिसकी खोज में नौरादेही का अमला लगा हुआ था। वन अमला लगातार जंगलों और नदियों, पहाड़ियों मे जाकर एन 3 की खोज कर रहा था, लेकिन उसकी लोकेशन की पुष्टि अधिकारी नहीं कर रहे थे। सोमवार को सिंगपुर रेंजर सौरभ जैन ने एन 3 के जंगल में होने की पुस्टि करते हुए बताया कि वह स्वस्थ है और जंगलों में घूम रहा है। एन 3 ने एक चीतल का शिकार किया है उसके पदमार्ग भी उस स्थान पर खोजबीन के दौरान मिले हैं जहां यह बाघ रहता है।
नौरादेही में एक ओर राधा और किशन का पूरा परिवार है तो दूसरी ओर वह बाघ है जिससे लड़ाई के दौरान किशन की मौत हो गई। किशन की मौत के बाद राधा और उसके शावक पर क्या असर पड़ा होगा उनको इस बात का अहसास है। नौरादेही के एसडीओ सेवाराम मलिक ने बताया कि बाघ और उसके शावक बहुत कम साथ में रहते थे। उन्होंने खुद अपना एक क्षेत्र बना लिया है। किसी की मौत से दूसरों पर कोई असर नहीं पड़ता। बाघ एन 3 को जंगल में देखा गया है। अमला अब उसकी पूरी जानकारी एकत्रित करने में लगा हुआ है। जिस बाघ की खोजबीन की जा रही है उसे केवल पगमार्ग से खोजा जाता है, इसलिए उनका निश्चित स्थान नहीं मिल पा रहा है, लेकिन बाघ सुरक्षित है।
नौरादेही अभयारण्य में छह रेंज आती हैं, लेकिन किशन ज्यादातर दमोह जिले की सीमा में ही अपना बसेरा बनाये रहता था। सर्रा रेंज के बाद नौरादेही रेंज लग जाती थी यहीं से बामनेर नदी निकली हुई है जो दमोह जिले से होकर नौरादेही की सीमा में बहती है। यहीं बाघ किशन मृत अवस्था में मिला था, जबकि एन 3 का बसेरा अधिकांस समय झापन रेंज की वीटों में रहता है। झापन रेंज के बाद सिंगपुर रेंज शुरू हो जाती है और यही बाघ एन 3 की सूचना मिल रही है। सिंगपुर रेंजर ने बाघ एन 3 को रविवार की शाम देखा भी है। रेंजर सौरभ जैन ने बताया कि बाघ एन 3 सुरक्षित है और उसने रविवार को एक चीतल का शिकार भी किया है। बाघ अलग-अलग समय में अपने ठिकाने बदलता रहता है। इसलिए उसे पैदल और हाथी की मदद से खोजा जाता है।