भोपाल व रानी कमलापति स्टेशन पर रोज 10 लाख लीटर पानी बचा रहे बोगियों के बायो टायलेट्स
भोपाल रेल मंडल की 14 यात्री रेलगाड़ियों की 590 बोगियों में लगे हैं बायो टायलेट्स। वर्ष 2019 से पहले इनमें साधारण शौचालय थे, जिसकी वजह से गंदगी पटरियों पर गिरती थी। साफ करने में खर्च होता था रोजाना लगभग 10 लाख लीटर साफ पानी।
By Ravindra Soni
Edited By: Ravindra Soni
Publish Date: Sat, 19 Nov 2022 03:37:32 PM (IST)
Updated Date: Sat, 19 Nov 2022 06:43:12 PM (IST)
भोपाल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। भोपाल व रानी कमलापति रेलवे स्टेशन पर रोजाना 10 लाख लीटर साफ पानी की बचत हो रही है। यह पानी पहले प्लेटफार्म क्षेत्रों में ट्रैक पर गिरने वाली गंदगी को साफ करने में खर्च होता था, लेकिन अब गंदगी ट्रैक तक नहीं पहुंचती, इसलिए सफाई पर खर्च होने वाला पानी बच रहा है। ऐसा 590 कोचों में जैविक शौचालय लगने से संभव हुआ है। ये सभी कोच भोपाल रेल मंडल के हैं जिनमें कोरोना महामारी के पहले ही लगाए जा चुके हैं।
भोपाल रेल मंडल ने भी पांच वर्षों में अपनी ट्रेनों के 590 कोच में जैविक शौचालय लगा दिए हैं। इससे प्लेटफार्म और पटरियों पर 95 प्रतिशत तक स्वच्छता बड़ी है। वहीं भोपाल, रानी कमलापति और संत हिरदाराम नगर सहित मंडल के अन्य स्टेशनों पर पटरियों की सफाई में प्रतिदिन खर्च होने वाला 10 लाख लीटर पानी भी बचा है।
जीवाणु खत्म कर देते हैं मानवीय अपशिष्ट
ट्रेनों में बने जैविक शौचालय दिखने में आम शौचालय की ही तरह होते हैं, लेकिन इसमें मानवीय अपशिष्ट पटरियों पर न गिरकर स्टेनलेस स्टील के एक टैंक में जमा होती है। इस टैंक में जीवाणु होते हैं। इनकी संख्या हर आठ घंटे में दोगुनी हो जाती है, जो मानवीय अपशिष्ट को नष्ट कर देते हैं। जिसके बाद बची गंदगी टैंक में स्थित छह भागों से अलग अलग प्रक्रिया से गुजरती है। अंत में केवल पानी बचता है, जो क्लोनीटर बाक्स से होकर क्लोरीन की गोलियों से छनकर पटरियों पर गिरता है। इससे पटरियों पर गंदगी नहीं होती ।
अब नए शौचालय की ओर रेलवे
वर्तमान में रेलवे जैविक शौचालय को और उन्नत करने की दिशा में काम कर रहा है। जैविक शौचालय में वैक्यूम फ्लशिंग सिस्टम जोड़ा जा रहा है। नए जैविक वैक्यूम शौचालय में पैन से अपशिष्ट कम पानी और वैक्यूम के द्वारा साफ हो जाता है। यह तकनीक फ्लशिंग के समय पानी की मात्रा को कम कर देती है। जिससे पानी की बचत होती है।
स्वच्छता और जल संरक्षण पर जोर
भारतीय रेल प्लेटफार्म, पटरियों और गाड़ी में स्वच्छता बनाए रखने पर विशेष काम कर रही है। इसके अलावा पानी को बचाने पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। गाड़ियों में जैविक शौचालय लगने से स्वच्छता तो बड़ी ही है। जल संरक्षण भी हो रहा है।
- सौरभ बंदोपाध्याय, डीआरएम, भोपाल रेल मंडल