भोपाल। राजधानी के राज्य पशु चिकित्सालय परिसर में राज्य पशु चिकित्सा अन्वेषण प्रयोगशाला में ग्लैंडर्स बीमारी की जांच भी हो सकेगी। जांच शुरू होने में करीब छह महीने लगेंगे। भारत सरकार ने लैब के लिए मंजूरी दे दी है। अब लैब बनाने का काम शुरू होगा। इसका फायदा यह होगा कि ग्लैंडर्स की जांच के लिए अश्व प्रजाति के नमूने जांच के लिए हिसार स्थित भारत सरकार की लैब में नहीं भेजने पड़ेंगे।
भोपाल में जांच होने से एक-दो दिन के भीतर ही रिपोर्ट आ जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए बायोलॉजिकल सेफ्टी लेवल (बीएसएल-2) लैब बनाई जाएगी। यहां जांच के लिए ज्यादातर सुविधाएं हैं। डॉक्टर व टेक्नीशियन भी हैं। लैब शुरू करने के पहले स्टाफ की ट्रेनिंग कराई जाएगी।
बता दें कि पिछले साल अप्रैल में राजधानी में ग्लैंडर्स बीमारी की दस्तक हुई थी। कॉजीकैंप निवासी रहमान के तीन घोड़ों में सबसे पहले ग्लैडर्स की पुष्टि हुई थी। इसके बाद से लगातार नमूने लेकर जांच के लिए हिसार स्थित लैब में भेजे जा रहे थे।
राजधानी में 130 घोड़े-खच्चरों के सैंपल जांच के लिए फॉलोअप भेजे
पिछले साल पहला केस मिलने से लेकर इस साल अप्रैल तक 13 घोड़ों में ग्लैंडर्स बीमारी की पुष्टि हुई थी। इन घोड़ों को जहर देकर मार दिया गया है। इसके बाद प्रभावित क्षेत्रों के आसपास करीब 10 किमी के दायरे में घोड़े और खच्चरों के खून के नमूने लिए जा रहे हैं। पिछले 15 दिन के भीतर शहर में 130 घोड़े व खच्चरों के नमूने लिए गए हैं। जांच के लिए यह नमूने हिसार स्थित लैब में भेजे गए हैं।
यहां से करीब 15 दिन के बाद रिपोर्ट आने की उम्मीद है। रिपोर्ट निगेटिव आई तो शहर ग्लैडर्स मुक्त घोषित कर दिया जाएगा। इसके बाद घोड़ों के सावर्जनिक उपयोग पर लगी पाबंदी हट जाएगी। अभी रोक के चलते स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस की परेड में घोड़े शामिल नहीं किए जा रहे हैं। शादी समारोहों में भी घ्ाोड़ों के उपयोग पर रोक है। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद बरात में दूल्हे बिना डर के घोड़ी चढ़ सकेंगे। भोपाल के अलावा आसपास के 5 जिलों से 60 घोड़े-खच्चरों के नमूने लिए गए हैं।
ऐसे फैलती है बीमार
यह बीमारी एक तरह के बैक्टीरिया से फैलती है। एक ही बर्तन में पानी पीने व खाने वाले घोड़ों में यह बीमारी पहुंच जाती है। इसके अलावा छींकने पर यह बीमारी दूसरे तक पहुंचती है। इस बीमारी में सर्दी-जुकाम, बुखार व शरीर में रेशे जैसी स्थिति बन जाती है। इंसानों में भी यह बीमारी आ सकती है। हालांकि, देश में अभी तक इंसानों में इस बीमारी की पुष्टि नहीं हुई है।
पिछले साल इन जिलों में मिले थे मरीज
भोपाल समते बैतूल, खंडवा, नरसिंहपुर, ग्वालियर और इंदौर।
बीएसएल-2 लैब बनाने के लिए भारत सरकार ने मंजूरी दे दी है। करीब छह महीने में लैब तैयार होने के बाद जांच शुरू हो जाएगी। अभी भोपाल से 130 नमूने जांच के लिए हिसार भेजे गए हैं। इसकी जांच रिपोर्ट आने का इंतजार कर रहे हैं।
- डॉ. जयंत टपासे, असिस्टेंट डायरेक्टर, राज्य पशु चिकित्सा अन्वेषण प्रयोगशाला