Health Management Information System Report: शशिकांत तिवारी, भोपाल। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की जन्म के समय के लिंगानुपात की वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 की हेल्थ मैनेजमेंट इंफारमेशन सिस्टम (एचएमआइएस) रिपोर्ट में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। इसके अनुसार देश में बेटों की तुलना में बेटियों की औसत संख्या (जन्म के समय का लिंगानुपात) वर्ष 2013-14 से लगातार बढ़ने के बाद वर्ष 2020-21 में कम हुआ है।
देश में वर्ष 2020-21 में 1000 बेटों के मुकाबले 937 बेटियों का जन्म हुआ था, जबकि यह संख्या वर्ष 2021-22 में 934 रही। आठ बड़े राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों में भी इस लिंगानुपात में गिरावट दर्ज की गई है।
इसमें मध्य प्रदेश, बिहार, चंडीगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मणिपुर और बंगाल शामिल हैं। बिहार और चंडीगढ़ में लिंगानुपात 900 से नीचे पहुंच गया है। केरल में यह 968, छत्तीसगढ़ में 957, राजस्थान में 946 है। जबकि, मध्य प्रदेश में जन्म के समय का लिंगानुपात (एसआरबी) 940 से घटकर 929 रह गया है।
मध्य प्रदेश की स्थिति
वर्ष --जन्म के समय का लिंगानुपात
2021-22-- 929
2020-21-- 940
2019-20--936
2018-19--929
2017-18-- 935
2016-17--905
2015-16--905
2014-15--905
(स्रोतः केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट)
वर्ष 2021-22 में अच्छी स्थिति वाले राज्य
राज्य -- लिंगानुपात
मिजोरम-- 994
सिक्किम-- 981
केरल-- 968
छत्तीसगढ़-- 960
गोवा-- 953
आंध्र प्रदेश -- 950
इनकी स्थिति खराब
राज्य या केंद्र शासित प्रदेश -- लिंगानुपात
चंडीगढ़-- 892
बिहार-- 898
हरियाणा-- 920
दिल्ली--924
गुजरात--927
पंजाब-- 928
इन राज्यों- केंद्र शासित प्रदेशों में बेटियों की संख्या कम रही
राज्य-- 2020-21-- 2021-22
बिहार-- 915-- 898
चंडीगढ़-- 941--892
हरियाणा-- 927--920
लक्षद्वीप-- 948-- 939
महाराष्ट्र--940--933
मणिपुर-- 954-- 945
बंगाल-- 949-- 944
देश में जन्म के समय का लिंगानुपात
वर्ष-- लिंगानुपात
2013-14-- 918
2014-15--918
2015-16--923
2016-17--926
2017-18--929
2018-19--932
2019-20--935
2020-21--937
2021-22--934
(स्रोतः केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय)
एक हजार बेटों पर 970 बेटियों का होना चाहिए जन्म
रिपोर्ट में कहा गया है कि 1970 के पहले जब भ्रूण लिंग परीक्षण की तकनीक नहीं थी तो कुल जन्म में 48.8 प्रतिशत बेटियां होती थीं। इसे ही प्राकृतिक लिंगानुपात माना जाता है। इसके अनुसार 1000 बेटों पर 970 बेटियों का जन्म होना चाहिए। भ्रूण लिंग परीक्षण की तकनीक आने के बाद इसमें गिरावट आने लगी थी। कई राज्यों में यह आंकड़ा 900 से नीचे पहुंच गया था। अब गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम आने के बाद भ्रूण लिंग परीक्षण पर सख्ती शुरू हुई तो इसमें सुधार आया।
निजी अस्पतालों से कम रिपोर्टिंग को बताया कारण
मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की उप संचालक डा. अर्चना मिश्रा ने कहा कि निजी अस्पतालों से रिपोर्टिंग कम होने की वजह से यह गिरावट दिखाई दे रही है। कई बार आंकड़े बाद में भी अपडेट होते हैं। निजी अस्पतालों से सभी प्रसव की जानकारी भी नहीं आ पा रही है।
उधर, विशेषज्ञ इस तर्क से सहमत न होते हुए यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या इसी वर्ष निजी अस्पतालों ने जानकारी नहीं दी। दूसरा सवाल यह कि संख्या कम होने से अनुपात कैसे बदल सकता है। जिनकी रिपोर्टिंग नहीं हुई उनमें बेटा-बेटी दोनों शामिल होंगे