Gandhi Sagar Sanctuary: मध्य प्रदेश के गांधी सागर अभयारण्य में अफ्रीका जैसा मैदान, चीतों को आएगा रास
Gandhi Sagar Sanctuary: मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में गांधी सागर अभयारण्य को अगले सात माह में तैयार करने का लक्ष्य है।
By Hemant Kumar Upadhyay
Edited By: Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Thu, 11 May 2023 07:03:53 PM (IST)
Updated Date: Thu, 11 May 2023 07:49:55 PM (IST)
Gandhi Sagar Sanctuary: भोपाल(राज्य ब्यूरो)। दक्षिण अफ्रीका से लाकर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में बसाए गए चीतों को अब दूसरा रहवास देने की तैयारी है। उनका दूसरा ठिकाना मध्य प्रदेश में ही तैयार होगा। गांधी सागर अभयारण्य को अगले सात माह में तैयार करने का लक्ष्य है। इसके लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने पांच करोड़ रुपये स्वीकृत भी कर दिए हैं। अब काम शुरू करने के लिए सरकार की औपचारिक स्वीकृति की प्रतीक्षा है। अभयारण्य में अफ्रीका जैसा मैदान है, जो चीतों को रास आएगा।
कूनो पार्क में क्षमता से अधिक चीते हो जाएंगे
कूनो पार्क में 21 चीते रखे जा सकते हैं। वहां वर्तमान में 17 वयस्क और चार शावक चीता हैं और वंशवृद्धि के प्रयास भी शुरू कर दिए गए हैं। ऐसे में अगले तीन माह में शावक पैदा होंगे, तो पार्क में क्षमता से अधिक चीते हो जाएंगे। इस परिस्थिति को देखते हुए चीताें के लिए नए रहवास क्षेत्र पर काम शुरू हो रहा है।
गांधी सागर अभयारण्य को चीतों के लिए अनुकूल पाया
भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के विज्ञानियों ने अभयारण्य को चीतों के लिए अनुकूल पाया है। यहां श्योपुर के कूनो राष्ट्रीय उद्यान से अच्छा मैदानी क्षेत्र है, जो अफ्रीका में पाए जाने वाले मैदानों के समान है। पहाड़, घास के मैदान, ऊंचे पेड़, छोटी झाडि़यां, कंदराएं और पानी भी है, जो चीतों के भोजन के रूप में शाकाहारी वन्यप्राणियों को सुरक्षित करता है।
अनेक राज्यों का किया था दौरा
बता दें कि चीता परियोजना को मूर्त रूप देते समय देहरादून के विज्ञानियों ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, गुजरात सहित अन्य राज्यों दौरा किया था। जिसमें चीतों के लिए सर्वाधिक उपर्युक्त स्थान गांधी सागर अभयारण्य ही पाया गया था, पर उसे चीतों के लिए तैयार करने में समय लगता। इसलिए पहले चरण में कूनो को चुना गया।
तीन तरफ से की जाएगी फेंसिंग
मंदसौर जिले में स्थित गांधी सागर अभयारण्य को चीतों के लिए चुनने के और भी कारण हैं। अव्वल तो यह स्थान सुरक्षित है। 368 वर्ग किलो मीटर में फैले अभयारण्य के आसपास दूर-दूर तक गांव नहीं हैं। अभयारण्य के एक क्षेत्र में गांधी सागर बांध का पानी है, जो सुरक्षा देता है, तो शेष तीन ओर से चैनलिंग फेंसिंग कराई जाना है, इससे चीतों के बार-बार भागने और बाघ-तेंदुआ के अभयारण्य में आने की आशंका भी खत्म होती है। जबकि मध्य प्रदेश में चीतों के लिए तीसरे स्थान के रूप में चुने गए सागर जिले के नौरादेही अभयारण्य में वर्तमान में बाघ का बसेरा है और अभयारण्य में गांव भी मौजूद हैं। इसकी सीमा पर भी गांव हैं। हालांकि गांधी सागर के बाद नौरादेही को भी चीतों के लिए तैयार करने की योजना है।
खुले जंगल में छोड़े जाएंगे पांच चीते
वन्यप्राणी मुख्यालय ने बड़े बाड़ों में कैद पांच और चीतों को खुले जंगल में छोड़ने की तैयारी पूरी कर ली है। इन चीतों को 22 मई तक बाड़े से आजाद किए जाने की उम्मीद की जा रही है।