भोपाल (नवदुनिया स्टेट ब्यूरो)। बाघ और तेंदुआ की संख्या में कीर्तिमान रचने के बाद मध्य प्रदेश उन प्रजातियों को अपने जंगलों में बसाने की कोशिश में जुट गया है, जो दशकों पहले यहां से विलुप्त हो चुकी हैं। अफ्रीकी चीता के बाद अब छत्तीसगढ़ और असम से जंगली भैंसे लाने की तैयारी है। भैंसे कान्हा टाइगर रिजर्व में बसाए जाएंगे। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने इसकी मंजूरी दे दी है, पर भैंसे लाने से पहले यह अध्ययन किया जाएगा कि कान्हा पार्क में भैंसों के लिए अनुकूल वातावरण है या नहीं। अध्ययन की जिम्मेदारी भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के वैज्ञानिकों को सौंपी गई है। भैंसे पांच दशक पहले मध्य प्रदेश से विलुप्त हो चुके हैं।
प्रदेश में जंगली भैंसे लाने की तैयारी चल रही है। वन विभाग तीन जोड़े लाने की कोशिश में लगा है। छत्तीसगढ़ और असम सरकार इसके लिए तैयार भी है, पर जिस कान्हा पार्क में भैंसे बसाए जाने हैं। उसका पहले अध्ययन जरूरी है। वन अधिकारियों के मुताबिक एनटीसीए ने भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून को अध्ययन के लिए लिखा है। जानकार बताते हैं कि संस्थान जल्द ही अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों के दल को कान्हा पार्क भेज सकता है। दल यहां तीन से छह महीने रुककर अध्ययन करेगा। उल्लेखनीय है कि अभी मध्य प्रदेश में सिर्फ बायसन (गौर) पाया जाता है। दोनों प्रजाति में भिन्न्ताएं हैं। प्रदेश में आखिरी भैंसा वर्ष 1979 में पन्नाा के रैपुरा क्षेत्र के रूपझिर गांव के पास दिखाई देने की बात सामने आती है।
कान्हा में बेहतर माहौल का दावा
जंगली भैंसे के लिए कान्हा पार्क का सुपखार क्षेत्र अनुकूल बताया जा रहा है। इसमें चारे और पानी की पर्याप्त व्यवस्था है। क्षेत्र में करीब तीन किमी की परिधि में छोटी झाड़ियों के जंगल के साथ घास के मैदान हैं।
महामारी से बचाने का जतन
जंगली भैंसे मध्य प्रदेश लाने की एक बड़ी वजह उन्हें महामारी से बचाना भी है। वर्तमान में एशियाई जंगली भैंसे की संख्या चार हजार से भी कम रह गई है। छत्तीसगढ़ के उदयंती नेशनल पार्क में 11 भैंसे हैं। एक सदी पहले तक पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में बड़ी संख्या में जंगली भैंसे पाए जाते थे। जो अब भारत के काजीरंगा, छत्तीसगढ़ के रायपुर संभाग में रह गए हैं।
इनका कहना है
जंगली भैंसे कान्हा में बसाने के लिए प्रस्ताव भेजा है। प्रस्ताव मंजूर भी हो गया है। जल्द ही वैज्ञानिकों का दल अध्ययन करने आएगा। इसके बाद शिफ्टिंग शुरू होगी।
आलोक कुमार, मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक