Cheetah Project in MP: विवादित क्षेत्र छोड़कर गांधीसागर अभयारण्य में तैयार होगा चीतों का बाड़ा
Cheetah Project in MP: केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव स्पष्ट कर चुके हैं कि चीते मध्य प्रदेश से बाहर नहीं जाएंगे।
By Hemant Kumar Upadhyay
Edited By: Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Wed, 09 Aug 2023 03:46:15 PM (IST)
Updated Date: Wed, 09 Aug 2023 03:46:15 PM (IST)
प्रतिनिधि चित्र। HighLights
- अगले वर्ष जनवरी में अफ्रीकी देशों से तीसरी बार चीते भारत लाए जाएंगे।
- बूझबेसला गांव में चेनलिंक जाली लगाने को लेकर विवाद।
- मध्य प्रदेश में ही रखा जाएगा चीतों को।
Cheetah Project in MP: भोपाल(राज्य ब्यूरो)। चीतों (Cheetah) के दूसरे ठिकाने के रूप में तैयार किए जा रहे गांधीसागर अभयारण्य (Gandisagar Sanctuary) के विवाद से वन विभाग ने किनारा कर लिया है। विभाग ने तय किया है कि जिस क्षेत्र (बूझबेसला गांव) में चेनलिंक जाली लगाने को लेकर विवाद है, उसे छोड़कर जाली लगाई जाएगी ताकि फिजूल के विवाद में न उलझते हुए समय से चेनलिंक फेंसिंग पूरी कर ली जाए।
जनवरी में अफ्रीकी देशों से तीसरी बार चीते लाए जाएंगे
चीता परियोजना के अंतर्गत जनवरी 2024 में अफ्रीकी देशों से तीसरी बार चीते लाए जाने हैं। उससे पहले गांधीसागर अभयारण्य को पूरी तरह से तैयार करना है।
मध्य प्रदेश से बाहर नहीं जाएंगे चीते
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन
मंत्री भूपेन्द्र यादव स्पष्ट कर चुके हैं कि चीते मध्य प्रदेश से बाहर नहीं जाएंगे। यानी राजस्थान के
मुकुंदरा पार्क में चीते नहीं भेजे जाएंगे। अब गांधीसागर अभयारण्य पर पूरा ध्यान है। इसे दिसंबर तक चीतों के लिए तैयार किया जाना है, पर वर्षाकाल और ग्रामीणों के विरोध के कारण अभयारण्य की सीमा पर चेनलिंक जाली लगाने का काम प्रभावित हुआ है।
तीन ओर से लगाई जाएगी जाली
अभयारण्य को तीन ओर से जाली लगाकर सुरक्षित किया जा रहा है, जबकि एक ओर गांधीसागर बांध का पानी है। जाली लगाने के दौरान बूझबेसला गांव के ग्रामीणों ने आपत्ति दर्ज कराई है। उनका कहना है कि जिस क्षेत्र को जाली लगाकर बंद किया जा रहा है, वह उनके मवेशियों के चारे के लिए है।
हटाने पर ग्रामीणों ने किया पथराव
वन कर्मचारियों ने ग्रामीणों को हटाने का प्रयास किया, तो उन्होंने पथराव कर दिया था। आखिर वन कर्मचारियों ने भी अतिक्रमण हटाने जाने से मना कर दिया था, वहीं स्थानीय जनप्रतिनिधि भी ग्रामीणों के पक्ष में खड़े हो गए।
विवादित भूमि अभयारण्य का हिस्सा नहीं
प्रदेश के मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक असीम श्रीवास्तव ने बताया कि जिस भूमि को लेकर विवाद है, उसे छोड़कर चेनलिंक फेंसिंग की जा रही है। उन्होंने बताया कि अभयारण्य के लगभग पूरे क्षेत्र में फेंसिंग हो रही है। जिस भूमि को लेकर विवाद है, वह अभयारण्य का हिस्सा न होकर सामान्य वनमंडल का हिस्सा है। पहले हम उस हिस्से को भी चेनलिंक जाली लगाकर घेर रहे थे।