हरिचरण यादव, भोपाल। अब रेलवे को स्टेशनों की चमक से मतलब होगा। यानी अव्वल दर्जे की साफ-सफाई होनी चाहिए। पूर्व में सफाई से तो मतलब होता ही था लेकिन साथ में यह भी देखा जाता था कि ठेकेदार ने सफाईकर्मी कितने रखे हैं व मशीनरी कितनी है? यह सब अब नहीं देखा जाएगा, केवल साफ-सफाई देखी जाएगी। रेलवे ने कुछ समय पूर्व ही देशव्यापी स्तर पर स्टेशनों के सफाई ठेका नियमों में बदलाव किए थे, अब इसका पालन किया जाने लगा है।
बता दें कि अब तक रेलवे के अधिकारी स्टेशनों की साफ-सफाई के लिए सफाई कर्मी व मशीनरी की गिनती करते थे। इस आधार पर ही सफाई ठेकेदार को भुगतान करते थे। यह बात ठेका नियमों में शामिल थी, जो कि स्टेशनों के क्षेत्रफल, उस पर ठहरने वाली ट्रेनों व उनमें चढ़ने-उतरने वाले यात्रियों की संख्या के आधार पर तय की जाती थी। अब यह दौर बदल गया है। पश्चिम मध्य रेलवे के भोपाल रेल मंडल ने भोपाल, इटारसी व बीना जैसे प्रमुख स्टेशनों पर आउट कम बेस्ड कांट्रेक्ट (सबसे अच्छा काम अनुबंध) पद्धति पर नए सिरे से ठेके देकर 24 करोड़ रुपये बचाए हैं।
अधिकारियों के दावे
पश्चिम मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राहुल श्रीवास्तव का दावा है कि इस ठेका प्रणाली से पश्चिम मध्य रेलवे में सफाई ठेके की लागत में 22 से 30 प्रतिशत तक कम हो गई है। सफाई भी बेहतर हो रही है। रेल परिचालन के कामों को छोड़कर बाकी के कामों में अपनाई जाने वाली ठेका पद्धति में इस बदलाव को जोड़ने की तैयारी है।
रेलवे ने ऐसे घटाया खर्च
भोपाल स्टेशन- चार वर्ष के लिए 25 मार्च 2020 को पांच करोड़ में ठेका हुआ था। 90 कर्मचारियों से तीन शिफ्ट में काम कराया जा रहा था। नई नीति के अनुरुप यह पांच अक्टूबर की रात 12 बजे खत्म हो गया है। नया ठेका 3.77 करोड़ रुपये का हुआ है।
इटारसी स्टेशन- पुराने नियमों के अनुसार रेलवे प्रत्येक तीन वर्ष के लिए 10.80 करोड़ रुपये का ठेका दिया था। ठेकेदार 175 सफाई कर्मियाें से काम करवा रहा था। बीते महीने ही ठेका नई शर्तो के तहत 4.86 करोड़ रुपये में हुआ है। अब करीब 75 सफाई कर्मी काम कर रहे हैं। भोपाल रेल मंडल की वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक प्रियंका दीक्षित का कहना है कि नई ठेका नीति से ठेके दिए जाने पर 24 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
यह है बदलाव की वजह
- रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पुराने समय में कुछ ठेकेदार दस्तावेजों में सफाईकर्मियों की गिनती करवा देते थे, लेकिन मौके पर इतने कर्मी नहीं होते थे। वहीं जो काम करते थे, उन्हें श्रम कानूनों के तहत दिखावे के लिए मानदेय दिया जाता था लेकिन कुछ कर्मियों के एटीएम आदि कुछ ठेकेदार रख लेते थे और कर्मियों को तय मापदंड से कम मानदेय देते थे। हालांकि नई नीति से सफाईकर्मियों की संख्या घट जाएगी, ये बेरोजगार होंगे।
नए ठेका नियमों के तहत प्रमुख स्टेशनों पर ठेके आवंटित करने के बाद सफाई व्यवस्था की निगरानी कड़ी कर दी है। परिणामों के आधार पर आने वाले समय में समीक्षा करेंगे।
- सौरभ बंदोपाध्याय, डीआरएम, भोपाल रेल मंडल