Bhopal Art and Culture : भोपाल(नवदुनिया प्रतिनधि)। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय की लिखंदरा प्रदर्शनी दीर्घा में किसी एक जनजातीय चित्रकार की प्रदर्शनी सह विक्रय का संयोजन शलाका नाम से किया जाता है। इसी क्रम में गोंड चित्रकार जयप्रकाश धुर्वे के चित्रों की प्रदर्शनी सह-विक्रय का संयोजन किया गया है। 28वीं शलाका चित्र प्रदर्शनी 30 अगस्त तक रहेगी।
1997 में डिंडोरी जिले के पाटनगढ़ में जन्मे जयप्रकाश के माता-पिता शिवकली एवं कुम्हार सिंह इनके कला गुरु भी हैं। जयप्रकाश ने अपनी स्कूल एवं कालेज की शिक्षा भोपाल में की। पढ़ाई के साथ-साथ परिवार संग चित्र भी बनाते, जिससे इनकी कला परिष्कृत होने के साथ कुछ आय भी हो जाती। शिक्षा पूरी करने के पश्चात जयप्रकाश ने चित्रकर्म में स्वयं की अलग पहचान बनाने के लिए अपना पूरा समय इसी विधा को दे रहे हैं, अपने गुरु से सीखी हुई बारीकियों को अपने चित्रों में उतारने का प्रयास करते हैं साथ ही चित्रों को अपने ही ढंग से बनाने की भी कोशिश करते हैं। चटक रंगों एवं पेन से भरी गई रेखाएं, इनके चित्रों को एक विस्तृत आयाम देती हैं। धुर्वे प्रकृति, परिवेश, पशु-पक्षी, मनुष्य और उसके क्रियाकलाप को रंग-रेखाओं के माध्यम से उकेरते हैं। 10 वर्ष की अपनी कला यात्रा में जयप्रकाश ने सर्वप्रथम नई दिल्ली में अपने चित्रों को प्रदर्शित किया था। उसके पश्चात दिल्ली सहित देश के मुंबई, बेंगलुरु ,पुणे आदि शहरों में निरंतर अपने चित्र प्रदर्शित करते आ रहे हैं। भोपाल में रहकर जयप्रकाश धुर्वे पत्नी सहित अपने चित्रकर्म एवं चित्रों को नए माध्यमों में बरतने के प्रयास में संलग्न हैं।
26 चित्रों का प्रदर्शन: प्रदर्शनी में चित्रकार के बनाए 26 चित्रों को प्रदर्शित किया गया है, जिसमें गणेश एवं प्राणी जगत, गाय समूह एवं पक्षी, तीन मृगी, देव उल्ल्ूा, पक्षी एवं वृक्ष, बघेसुर देव, मोर एवं वृक्ष, मोर जोड़ एवं पक्षी समूह, मोरनी एवं अन्य पक्षी, वृक्ष तले मोरनी एवं बच्चे, वृक्ष एवं पक्षी समूह, वृक्ष एवं हिरण समूह, वृक्ष एवं पक्षी समूह, साही, हाथी एवं पक्षी, हाथी जोड़, वृक्ष एवं पक्षी, हिरण, वृक्ष एवं हिरण, हिरण जोड़, हिरण समूह एवं पक्षी, वृक्ष तले हिरण परिवार, वृक्ष तले मोरनी एवं बच्च्ो, गणेश एवं पीपल, पीपल वृक्ष एवं मोर समूह, गाय एवं राधा कृष्णा एवं अन्य विषयों पर आधारित चित्र हैं।