सौरभ सोनी, नईदुनिया भोपाल। मध्य प्रदेश में वन्यजीवों का शिकार और बढ़ते अपराधों से वन विभाग की चिंता बढ़ी हुई है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों के शिकार में अंतरराष्ट्रीय साजिश का अंदेशा होने के बाद अब प्रदेश में बाघ संरक्षण से जुड़े अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) भी जांच के घेरे में आ गए हैं।
वन विभाग ऐसे सभी एनजीओ की भूमिका की जांच कराएगा। इनके अलावा उन विदेशी नागरिकों की भूमिका को लेकर भी जांच की जाएगी जो टाइगर रिजर्व में सक्रिय रहे हैं। वे किन लोगों से मिले या उनकी गतिविधियां संदिग्ध तो नहीं थीं, इन सभी बिंदुओं पर पड़ताल की जाएगी। इसके लिए वन्यप्राणी अभिरक्षक ने प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टरों को पत्र लिखा है। इसके पहले वन विभाग टाइगर रिजर्व के अधिकारियों को नोटिस जारी कर चुका है।
यह सारी कवायद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 3 साल में 34 बाघों की मौत की जांच रिपोर्ट आने के बाद की जा रही है। बांधवगढ़ में वर्ष 2021 में 12, वर्ष 2022 में नौ और वर्ष 2023 में 13 बाघों की मौत हुई। सबसे अधिक बाघों की मौत मनपुर बफर जोन में हुई।
जांच रिपोर्ट में टाइगर रिजर्व के वन्यप्राणी चिकित्सक को पोस्टमार्टम न करने का दोषी बताया गया है, लेकिन वहां अलग-अलग समय में पदस्थ रहे फील्ड डायरेक्टरों से लेकर वन अमले और काम करने वाले एनजीओ की भूमिका की जांच नहीं की गई।
टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत सामान्य न होकर शिकार किए जाने की आशंका भी जताई गई है। बता दें, प्रदेश के टाइगर रिजर्वों में लास्ट वाइल्डरनेस फाउंडेशन, एसएलएमसी, विथ पार्टनर विनरोक, वर्टिवर फाउंडेशन, डब्ल्यूआरसीएस पुणे, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, डब्ल्यूटीआई, डब्ल्यूसीटी सहित अन्य एनजीओ काम कर रहे हैं।
वर्ष | वन अपराध | बाघों की मौत |
2020 | 56,932 | 26 |
2021 | 58,101 | 41 |
2022 | 52,094 | 34 |
2023 | 50,180 | 43 |
2024 | 10,688 | 30 |
बाघ सहित वन्यजीवों के संरक्षण में जुटे एनजीओ को सरकार द्वारा अनुदान दिया जाता है। वे ठीक तरह से काम कर रहे है या नहीं, इसका मूल्यांकन भी होना चाहिए। मध्य प्रदेश के सभी फील्ड डायरेक्टरों को पत्र लिखा गया है कि वे अपने यहां कार्यरत एनजीओ के कामकाज का मूल्यांकन कर रिपोर्ट तैयार करें। इससे वन्यप्राणी मुख्यालय को अवगत कराएं। - शुभरंजन सेन, वन्यप्राणी अभिरक्षक, मप्र वन