
विकास पांडेय-कोरबा (निप्र)। कंप्यूटर में डिप्लोमा पाठ्यक्रम से लेकर बीबीए, एमबीए, एमसीए व दुनियाभर के प्रोफेशनल कोर्स में स्नातक, स्नातकोत्तर की डिग्री तथा सर्टिफिकेट कोर्स चलाने वाले बेलगाम फर्जी विश्वविद्यालयों की जानकारी हर युवा तक आसानी से पहुंच सकेगी। इसके लिए जिले के लीड कॉलेजों में हेल्प डेस्क शुरू होगा। जिले की अग्रणी संस्था शासकीय पीजी कॉलेज ने यह व्यवस्था शुरू भी कर दी है। हेल्प डेस्क व कॉलेज की वेबसाइट पर उन विश्वविद्यालयों के नाम भी उपलब्ध कराए जाएंगे, जिन्हें राज्य शासन से मान्यता प्राप्त है।
युवाओं को गुमराह कर भविष्य से खिलवाड़ करने में लगे फर्जी विश्वविद्यालयों पर शासन ने लगाम कसने की कवायद शुरू कर दी है। इस हेल्प डेस्क के माध्यम से ऐसे विश्वविद्यालयों के नाम सार्वजनिक करते हुए छात्र-छात्राओं तक सीधी जानकारी पहुंचाने की व्यवस्था होगी। इसके अलावा इस डेस्क के माध्यम से शासन ने उन विश्वविद्यालयों के नाम भी छात्रों को बताने कहा है, जिन्हें शासन की मान्यता प्राप्त है। उच्च शिक्षा विभाग व बिलासपुर विश्वविद्यालय के निर्देश पर शासकीय इंजीनियर विश्वेसरैया स्नातकोत्तर महाविद्यालय (पीजी कॉलेज) ने हेल्प डेस्क की व्यवस्था शुरू कर दी है। इन गैर मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों द्वारा कैंपस सलेक्शन, मनचाहा जॉब से लेकर कई प्रकार के प्रलोभनों के जरिए बेरोजगार युवाओं को लगातार गुमराह किया जाता रहा है। इनके झांसे में आ रहे युवा न केवल अपने पालकों की गाढ़ी कमाई, बल्कि अमूल्य समय भी गंवा रहे हैं। ऐसे फर्जी विश्वविद्यालयों से संबद्ध होकर दूरस्थ शिक्षा प्रणाली अथवा अध्ययन केंद्र के नाम पर चल रहे निजी संस्थाओं ने उच्च शिक्षा के नाम पर जमकर गोरखंधंधा किया जा रहा है। प्रदेश में संचालित निजी संस्थाओं, कॉलेजों व स्टडी सेंटरों के जरिए दिगर राज्यों के विश्वविद्यालयों से संबद्ध पाठ्यक्रम को राज्य शासन ने अमान्य घोषित किया है। परीक्षाओं के लिए केवल उन्हीं स्टडी सेंटरों को मान्य किया गया, जो राज्य के भीतर संचालित व शासन से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम संचालित कर रहे हैं।
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परीक्षा का आयोजन पहले ही प्रतिबंधित
शासन ने प्रदेश के बाहर संचालित अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों तथा इनके द्वारा राज्य में चलाए जा रहे पाठ्यक्रमों को अमान्य बताते हुए स्थानीय स्तर पर शासकीय कॉलेजों में उनकी परीक्षाएं लेने पर पहले ही पाबंदी लगा रखी है। उच्च शिक्षा विभाग ने प्राचार्यों को एक निर्देश जारी करते हुए सख्त हिदायत दी है कि शासकीय कॉलेजों को ऐसे विश्वविद्यालयों से संबंधित परीक्षाएं आयोजित करने परीक्षा केंद्र न बनाया जाए। इस निर्देश की वजह से कम्प्यूटर एप्लिकेशन व प्रबंधन के क्षेत्र में डिप्लोमा या डिग्री की पढ़ाई कर रहे निजी संस्थाओं के सैकड़ों छात्र-छात्राओं का भविष्य खतरे में पड़ गया है। गैरमान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों की शह पर कॉलेज व अध्ययन केंद्र के रूप में चल रही संस्थाओं की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए यह निर्देश उच्च शिक्षा विभाग ने इसी साल मई में जारी किया था। इसमें शासकीय महाविद्यालयों को साफ तौर पर गैरमान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं न लिए जाने की बात कही गई थी।
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स्टडी सेंटर में चल रहा गोरखधंधा
जिले में ऐसे कई निजी संस्थान हैं जो पिछले डेढ़-दो दशकों से संचालित हैं और शासन से गैरमान्यता प्राप्त दीगर राज्यों के विश्वविद्यालयों की संबद्धता दिखाकर जिले में अपनी दुकानदारी चला रहे हैं। उनमें कई एक बड़े समूह का रूप ले चुकी हैं, जहां से बीते वर्षों में विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का प्रमाणपत्र लेकर युवा बेरोजगार भटकने मजबूर हैं। अध्ययन केंद्र के नाम पर आधा दर्जन संख्या में संचालित इन संस्थानों ने शासन की सख्ती के बाद गैर मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम बंद तो कर दिए, लेकिन पूर्व में इनसे संबंधित सर्टिफिकेट प्राप्त कर चुके सैकड़ों युवाओं का भविष्य अब अधर में है। इनमें 6 माह के बेसिक कम्प्यूटर से लेकर एमबीए व एमसीए की स्नातक व स्नातकोत्तर डिग्रियां, समाज कार्य, पत्रकारिता सहित 50 से भी ज्यादा कोर्स शामिल हैं। संस्थाओं की मान्यता पर भी बार-बार सवाल उठने के बावजूद आसान राह देख युवा झांसे में आते रहे और अंकुश लगाने की बजाय शासन-प्रशासन मूकदर्शक बनकर देखता रहा।
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राज्य से मान्यता प्राप्त विवि
शासकीय
विवि जिला
पं. रविशंकर विवि रायपुर
इंदिरा कला संगीत विवि खैरागढ़
बस्तर विवि जगदलपुर
सरगुजा विवि अंबिकापुर
बिलासपुर विवि बिलासपुर
पं. सुंदरलाल शर्मा ओपन विवि -
कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता रायपुर
एवं जनसंचार विवि काठाडीह
निजी
डॉ. सीवी रमन विवि कोटा बिलासपुर
मैट्स यूनिवर्सिटी आरंग रायपुर
कलिंगा यूनिवर्सिटी नया रायपुर
आईसीएफएआई विवि दुर्ग
आईटीएम विवि उपरवारा नया रायपुर
एमिटी विवि माठ रायपुर
ओपी जिंदल पूंजीपथरा, घरघोड़ा रायगढ़
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परीक्षाओं पर प्रतिबंध के कारण
0 दूरवर्ती शिक्षा के नाम से पंजीकृत होकर शासन के निर्धारित दायरों का अतिक्रमण ।
0 स्टडी सेंटर की बजाय महाविद्यालय बताकर गुमराह किया जाना ।
0 शासन से दी गई एक या दो साल मान्यता के बाद समय पर पुनः मान्यता की कार्रवाई में देरी ।
0 मान्यता की निर्धारित समयसीमा में बेवजह विलंब कर छात्र-छात्राओं को गुमराह करना ।
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कुछ दीगर राज्यों के विवि
0 माखन लाल चतुर्वेदी विवि (एमएलसी)
0 भोज विश्वविद्यालय
0 पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी
0 लवली प्रोफेशल यूनिवर्सिटी
0 सिक्किम मनिपाल यूनिवर्सिटी
वर्सन
उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय के निर्देश पर लीड कॉलेज होने के नाते शासकीय पीजी कॉलेज में हेल्प डेस्क शुरू किया गया है। इसके अलावा सभी महाविद्यालयों को वेबसाइट बनाकर उसमें भी इस संबंध में सभी आवश्यक सूचनाएं उपलब्ध कराने का प्रावधान रखा गया है, ताकि गैर मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालयों की जानकारी से लेकर विभिन्न प्रकार की मदद छात्र-छात्राओं को दी जा सके।
- डॉ. एमआर नेताम, प्राचार्य, शासकीय पीजी कॉलेज