MP Election 2023: भाजपा और कांग्रेस ने झोंकी ताकत, प्रत्याशी घोषित कर तैयारी में भाजपा आगे
MP Election 2023: बात चुनावी तैयारियों की करें तो इसमें भाजपा आगे दिखती है। भाजपा की चार सूची अब तक जारी हो चुकी है जिसमें 136 प्रत्याशी घोषित किए जा चुके हैं।
By Hemant Kumar Upadhyay
Edited By: Hemant Kumar Upadhyay
Publish Date: Tue, 10 Oct 2023 12:47:10 PM (IST)
Updated Date: Tue, 10 Oct 2023 01:52:27 PM (IST)
HighLights
- असंतुष्ठों को साधने की दोनों दलों में चुनौती।
- मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होता रहा है।
- 2018 के चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच नजदीकी मुकाबला हुआ था।
MP Election 2023: राज्य ब्यूरो, भोपाल। मप्र विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। 16वीं विधानसभा के लिए 17 नवंबर को मतदान होना है। राज्य में अब तक का चुनावी इतिहास देखें तो मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होता रहा है।
2018 के चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच नजदीकी मुकाबला हुआ था, जिसमें कांग्रेस से .13 प्रतिशत अधिक मत पाने के बावजूद भाजपा की सीटें कम हो गई थीं। भाजपा ने 109 सीटें प्राप्त कीं जबकि कांग्रेस को 114 सीटें मिलीं। पिछले चुनाव की तरह ही इस बार भी मुकाबला नजदीक हो सकता है। इसी लिए दोनों दल चुनावी चौसर पर सधी चाल चल रहे हैं।
भाजपा की चार सूची अब तक जारी हुई
बात चुनावी तैयारियों की करें तो इसमें भाजपा आगे दिखती है। भाजपा की चार सूची अब तक जारी हो चुकी है जिसमें 136 प्रत्याशी घोषित किए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव की घोषणा से पहले लोकलुभावन घोषणाएं कर उसे धरातल पर उतारने में सक्रिय रहे। जबकि कांग्रेस चुनावी वादे करती रही। गारंटी देती रही लेकिन प्रत्याशियों की एक भी सूची जारी नहीं कर सकी है।
लेटलतीफी को भी रणनीति बता रहे कांग्रेस नेता
तैयारियों के मामले में पिछड़ने के बावजूद कांग्रेस के कुछ कद्दावर नेता इस लेटलतीफी को भी रणनीति बता रहे हैं। पार्टियों के टिकट वितरण के बाद छिटपुट विरोध के स्वर उठना स्वाभाविक है। भाजपा ऐसे असंतुष्टों को साधने में जुटी है। अब समय काफी कम है।
विरोध के स्वर थामने होंगे
ऐसे में कांग्रेस की सूची घोषित होने के बाद अगर विरोध के स्वर उठते हैं तो कम समय में उसे थामकर पार्टी के अनुकूल करना भी बड़ी चुनौती होगी। पिछले चुनावों के इतिहास पर नजर डालें तो प्रदेश में एक दर्जन से अधिक ऐसी सीटें जहां-तहां से चुनाव दर चुनाव सामने आती रही हैं जहां टिकट न मिलने से अपनी ही पार्टी के नेता बगावत कर पार्टी का समीकरण बिगाड़ते रहे हैं।
ग्वालियर-चंबल संभाग में अनेक उदाहरण
ग्वालियर-चंबल संभाग में ऐसे कई उदाहरण हैं। राज्य में कुल 230 विधानसभा सीटें हैं। लगभग सभी स्थानों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला रहने की उम्मीद है। मगर कई सीटें ऐसी भी हैं, जहां छोटे दल या इन दोनों प्रमुख दलों से बगावत करने वाले नेता इस बार भी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की हैसियत में हैं और वह इसकी तैयारी भी कर रहे हैं। इस स्थिति का दोनों दलों को सामना करना पड़ेगा।
किसान निभाएंगे अहम भूमिका
भाजपा और कांग्रेस का फोकस किसानों पर है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत के निकट पहुंचाने में किसान कर्ज माफी योजना और सस्ती बिजली ने बड़ी भूमिका निभाई थी। इस बार भी कांग्रेस ने किसानों पर दांव लगाया है। कर्ज माफी की गारंटी तो दी ही जा रही है, पांच हार्सपावर तक के कृषि पंप के लिए निश्शुल्क बिजली, पुराने बिजली बिलों की माफी सहित अन्य वचन दिए जा रहे हैं तो भाजपा ने भी इस वर्ग को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का ब्याज माफ करने के साथ अनुसूचित जाति-जनजाति के किसानों को निश्शुल्क बिजली की योजना जारी रखी है।
1.61 करोड़ युवा मतदाताओं पर नजर
भाजपा और कांग्रेस की नजर 29 वर्ष के एक करोड़ 61 मतदाता हैं। इनमें 18 से 19 वर्ष आयु के 22 लाख 36 हजार मतदाता हैं जो पहली बार मतदान करेंगे। युवा मतदाताओं का साथ लेने के लिए शिवराज सरकार ने रोजगार मेले लगाने के साथ एक लाख सरकारी पदों पर भर्ती की प्रक्रिया प्रारंभ की। मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना लागू करके कौशल विकास का प्रशिक्षण दिलाने और आठ से दस हजार रुपये प्रतिमाह शिष्यवृत्ति देने का प्रविधान किया। कांग्रेस ने स्वरोजगार को बढ़ावा देने और प्रोत्साहन योजना लागू करने का वचन दे रही है।
विधानसभा में दलीय स्थिति 2018
कांग्रेस- 114
भाजपा- 109
बसपा- 2
सपा- 1
निर्दलीय- 4
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विधानसभा में वर्तमान दलीय स्थिति
भाजपा- 127
कांग्रेस- 96 (हालांकि, बड़वाह से कांग्रेस विधायक सचिन बिरला भाजपा की सदस्यता ले चुके हैं।)
बसपा- 2
सपा- 1
निर्दलीय- 4