राज्य ब्यूरो, भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष के लिए कांग्रेस आदिवासी कार्ड खेल सकती है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आदिवासियों के लिए सुरक्षित 47 सीटों में से 22 जीती है। यह संख्या 2018 के चुनाव की तुलना में आठ कम अवश्य है, पर भाजपा ने जिस तरह से आदिवासियों को लेकर काम किया था, उस स्थिति में बेहतर प्रदर्शन माना जा रहा है। इसे देखते हुए पूर्व मंत्री बाला बच्चन या उमंग सिंघार पर दांव लगाया जा सकता है। अंतिम निर्णय प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सहमति से केंद्रीय संगठन द्वारा लिया जाएगा।
बाला बच्चन निमाड़ से आते हैं और छठवीं बार के विधायक हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के विश्वस्त माने जाते हैं। वे विधायक दल के उपनेता रह चुके हैं। वहीं, उमंग सिंघार चौथी बार के विधायक हैं। उमंग सिंघार को झारखंड और गुजरात चुनाव के समय सह प्रभारी बनाकर बड़ा दायित्व दिया जा चुका है। इसके पहले उनकी बुआ जमुना देवी 2003 से 2010 तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रही थीं।
कमल नाथ सरकार में मंत्री रहते उमंग ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर परदे के पीछे से सरकार चलाने का आरोप लगाया था और विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद उन्होंने माफी मांगी है। एक्स पर उन्होंने पोस्ट किया कि यह चुनाव कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के मार्गदर्शन में कांग्रेस के एक कार्यकर्ता ने मजबूती से लड़ा। हम सब संगठित हैं, एक हैं और भविष्य की लड़ाई के लिए तैयार हैं। यदि मेरे पूर्व के किसी आचारण से दिग्विजय सिंह जी के सम्मान में कोई भी ठेस पहुंची हो तो उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूं।
इससे माना जा रहा है कि सिंघार अपनी अगली भूमिका की तैयारी कर रहे हैं। उधर, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी नेता प्रतिपक्ष के लिए प्रबल दावेदार हैं। मंगलवार को उनके आवास पर पार्टी के कई विधायक जुटे। रामनिवास रावत भी छठवीं बार के विधायक हैं और चंबल संभाग से आते हैं।