फेज: 6
चुनाव तारीख: 25 मई 2024
पूर्व मेदिनीपुर जिले का मुख्यालय तमलुक संसदीय क्षेत्र के तौर पर शिक्षा का गढ़ माना जाता रहा है। स्वतंत्रता संग्राम में भी तमलुक का नाम ताम्रलिप्त के तौर पर श्रद्धा से लिया जाता था। मुख्य रूप से कृषि व मत्स्य पालन पर यह क्षेत्र निर्भर है, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से यह काफी जागरूक क्षेत्र रहा है। 2009 से पहले तक यह सीट माकपा का अभेद्य दुर्ग माना जाता रहा, लेकिन 2009 में हुए संसदीय चुनाव में इस सीट से तृणमूल के शुभेंदु अधिकारी निर्वाचित हुए और फिर माकपा का अभूतपूर्व पराभव शुरू हो गया। 2014 में हुए पिछले चुनाव में भी इस सीट से शुभेंदु जीते, लेकिन 2016 में राज्य विधानसभा चुनाव के बाद शुभेंदु अधिकारी संसदीय राजनीति से दूर हो गए और नंदीग्राम से विधायक चुने गए। लिहाजा 2016 में इस सीट के लिए उपचुनाव हुआ, जिसमें शुभेंदु के छोटे भाई दिव्येंदु अधिकारी उम्मीदवार बने और जीते भी। कुल 7,96,779 पुरुष व 7,30,494 महिला मतदाताओं वाले इस संसदीय क्षेत्र में पिछले तीन वर्षों में व्यापक परिवर्तन हुआ है, हालांकि 2007 में हुआ नंदीग्राम का भूमि आंदोलन आज भी यहां बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता रहा है। विधानसभा क्षेत्र और स्थानीय मुद्दे तमलुक संसदीय क्षेत्र में हल्दिया, महिषादल, तमलुक, मयना, नंदकुमार, पांशकुड़ा पूर्व और नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। तृणमूल 2011 में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद किए गए विकास कार्यों के जरिए जनता के बीच जाने की तैयारी में है, वहीं भाजपा व वामपंथी दल समेत तमाम विरोधी विकास कार्यों में कथित पक्षपात तथा पुलिस व तृणमूल के आतंक को मुद्दा बना चुकी है। तमलुक की खास बातें तमलुक, पश्चिम बंगाल का लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। यह बंगाल की खाड़ी से सटे हुए रूपनारायण नदी के किनारे स्थित है। रूपनारायण नदी के दाहिने तट पर बसे तामलुक का ताम्रलिप्ता, दामलिटता, ताम्रलिप्ति, ताम्रलित्तिका या वेलकुला जैसे नामों से भी जाना जाता है। प्राचीन समय में यह एक महत्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में कार्य करता था, जहां से भारतीय समुद्रगामी जहाज़ दूर देशों में जाया करते थे। बरगाभीमा मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, ब्रह्मो समाज, जोरा मस्जिद यहां के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं। दिल्ली से इस की दूरी 1,552.5 किलोमीटर है।