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चुनाव तारीख: 13 मई 2024
कोलकाता से तकरीबन 74 किलोमीटर की दूरी पर बसे राणाघाट संसदीय क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र है। 1952 में देश के लिए हुए पहले लोकसभा चुनावों के समय इस सीट का अस्तित्व नहीं था। इसे 2002 में भारत के परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद 2008 में गठित किया गया। यहां पर पहली बार 2009 में संसदीय चुनाव के लिए मतदान हुआ। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इसी क्षेत्र में मंगलदीप ईको टूरिज्म पार्क बनाया गया है। यह पर्यटकों का पसंदीदा दर्शनीय स्थल है। इसी क्षेत्र में बेगोपारा चर्च प्राचीन इमारतों में से एक है। रानाघाट लोकसभा सीट परिसीमन 2009 की रिपोर्ट में अस्तित्व में आई थी। इससे पहले यह सीट नवद्वीप संसदीय क्षेत्र के नाम से जानी जाती थी। नवद्वीप श्री चैतन्य महाप्रभु की जन्मभूमि है, जो भगीरथी नदी के पश्चिमी किनारे पर बसा हुआ है। कहा जाता है कि पहले यहां सेन वंश का शासन हुआ करता था। सात विधानसभा सीट राणाघाट लोकसभा क्षेत्र के तहत सात विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें कृष्णानगर दक्षिण, शांतिपुर, रानाघाट उत्तर पश्चिम, कृष्णगंज, रानाघाट उत्तर पूर्व, रानाघाट दक्षिण और चकदह शामिल हैं। डेमोग्राफी राणाघाट में 56.82 फीसद आबादी गांवों में रहती है, जबकि 43.18 फीसद लोग शहरों में रहते हैं। वहीं कुल आबादी में अनुसूचित जाति और जनजाति का अनुपात क्रमश: 35.92 और 3.53 फीसद है। विकास का हाल यहां से आज भी अधिकतर लोग रोजगार की तलाश में कोलकाता का रुख करते हैं। छोटे उद्योग को छोड़कर यहां कोई बड़ा उद्योग विकसित नहीं हो सका है। यहां विकास का आंकड़ा औसत है। संसदीय क्षेत्र के सांसद निधि के तहत 25 करोड़ रुपये निर्धारित हैं. इसमें विकास संबंधी कार्यों के लिए 22.50 करोड़ रुपये मंजूर किए गए। 27 जनवरी 2019 के रिकॉर्ड के मुताबिक रानाघाट के सांसद तपस मंडल 82.37 फीसदी फंड का इस्तेमाल कर चुके हैं। स्थानीय मुद्दे यहां बढ़ता अपराध एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है। यहां सौंदर्य प्रसाधन से लेकर खाने-पीने की चीजों से जुड़ी जाली कंपनियों की भरमार है। अवैध शराब का कारोबार भी प्रमुख मुद्दा है, क्योंकि चंद महीने पहले ही जहरीली शराब पीने से यहां आधे दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। राणाघाट की खास बातें राणाघाट संसदीय क्षेत्र पश्चिम बंगाल का महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र है। 1952 में देश के लिए हुए पहले लोकसभा चुनावों में इस सीट का अस्तित्व नहीं था। इसे 2002 में भारत के परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद 2008 में गठित किया गया। यहां पर पहली बार 2009 में संसदीय चुनाव के लिए मतदान हुआ। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इसी क्षेत्र में मंगलदीप ईको टूरिज्म पार्क बनाया गया है। यह पर्यटकों का पसंदीदा दर्शनीय स्थल है। इसी क्षेत्र में बेगोपारा चर्च प्राचीन इमारतों में से एक है। प्रदेश राजधानी कोलकाता से 74 किलोमीटर दूर है।