फेज: 6
चुनाव तारीख: 25 मई 2024
पश्चिम बंगाल की लोकसभा सीटों में महत्वपूर्ण है मेदिनीपुर संसदीय क्षेत्र। भौगोलिक नजरिए से देखें तो यह जिला कंसावती, हल्दी, केलेघई और स्वर्णरेखा नदियों से घिरा है। प्राचीन समय में यहां हिजली और गजपति का शासन था। स्वतंत्रता संग्राम में भी मेदिनीपुर का गौरवशाली इतिहास रहा है। विश्व प्रसिद्ध आईआईटी खड़गपुर भी इसी क्षेत्र में है। कुल 1,499,673 मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में 60 के दशक में वामपंथ का प्रभाव था। इस क्षेत्र की पहचान पूर्व सांसद स्वर्गीय नारायण चौबे और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री स्वर्गीय इंद्रजीत गुप्ता के गृहक्षेत्र के रूप में भी रही है। 2002 में इंद्रजीत गुप्ता के देहावसान के बाद भाकपा नेता प्रबोध पंडा तीन बार यहां से सांसद निर्वाचित हुए, हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में पंडा को पराजय का मुंह देखना पड़ा और तृणमूल की संध्या राय निर्वाचित हुईं। विधानसभा क्षेत्र इसके तहत सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिनमें खड़गपुर सदर, खड़गपुर, मेदिनीपुर, केशियाड़ी, दांतन, नारायणगढ़ और पूर्व मेदिनीपुर जिले का एगरा शामिल हैं। विकास का हाल 2016 में केशियाड़ी में भसराघाट पुल अरण्य कन्या का उद्घाटन हुआ था। सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के मामले में पंचायतों पर निर्भरता है। विकास के साथ ही सांसद संध्या राय की लंबी अनुपस्थिति और उदासीनता यहां मुद्दा बन सकता है। मेदिनीपुर की खास बातें मेदिनीपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पश्चिम बंगाल के 42 संसदीय क्षेत्रों में से एक है। इस संसदीय क्षेत्र में एगारा, दंतन, केशियारी, खरगनपुर सदर समेत सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं। यह क्षेत्र केल्घई और हल्दी नदियों से घिरा है। प्राचीन समय में यहां हिजली और गजपति साम्राज्य का शासन था। प्राचनीकाल के कई स्मारक और इमारतें आज भी यहां मौजूद हैं। इस क्षेत्र को आईआईटी खड़गपुर के लिए भी जाना जाता है।